उत्तर प्रदेश में रायबरेली कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है। इस बार अपनी मां सोनिया गांधी की बजाय राहुल गांधी इस सीट से लोकसभा चुनाव में दावेदारी पेश कर रहे हैं हैं। राहुल गांधी के चुनाव प्रचार अभियान की बागडोर बहन प्रियंका गांधी ने संभाली हुई है। ताबड़तोड़ नुक्कड़ सभाएं कर वह इलाके के लोगों को बता रही हैं। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने किन संघर्षों करके दौरान लोगों के साथ न कदम से कदम मिलाकर साथ दिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू संघर्ष करते हुए जेल भी गये महात्मा गांधी की अपील पर देशवासियों के साथ अंग्रेजों से भारत छोड़ो का नारा बुलंद करते हुए जीत हासिल की। किसानों के बीच पहुंचकर प्रियंका गांधी अपनी नुक्कड़ सभाओं में कांग्रेस अपने इस क्षेत्र में बसे नेहरू-गांधी परिवार के 100 साल के संबंध को अभियान का आधार बना रही है। पार्टी मतदाताओं को बता रही है कि वह उनके साथ रहेगी। यह बात यहां पर गौर करने वाली है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था पार्टी हर बार सत्ता में आने के बाद सीट से गायब हो जाती है। वहीं भाई राहुल को यहां पर विजयी बनाने के लिए बहन प्रियंका गांधी भी पुरजोर कोशिशों में लगी हुई हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी पार्टी दो स्तरीय रणनीति लॉन्च करेगी. पहली ‘सेवा के सौ साल’ और दूसरी होगी ‘रायबरेली के राहुल’। रायबरेली में प्रचार शुरू करने से पहले प्रचार सामग्री और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से इसे लॉन्च किया है । प्रियंका गांधी अपनी मौजूदगी से रणनीति के लिए माहौल तैयार कर रही हैं। प्रियंका अपनी मां सोनिया की सीट पर चार बार चुनाव प्रचार कर चुकी हैं। किसानों के बीच प्रियंका पिछले दो दिनों में रायबरेली के बछरावां और रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्रों में 25 से अधिक नुक्कड़ बैठकों को संबोधित कर चुकी हैं। वह बार-बार सात जनवरी, 1921 के मुंशीगंज नरसंहार का जिक्र करती हैं। इसके जरिए वह यह बताने की कोशिशें कर रही हैं कि नेहरू-गांधी परिवार की चार पीढ़ियां कैसे इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ खड़े रहे हैं। अंग्रेजी दौर का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी यह चर्चा करना भी नहीं भूलती कि आजादी के किसानों, मजदूरों और महिलाओं ने इस क्षेत्र में कितनी कुर्बानी दी। कांग्रेस के नेताओं रायबरेली क्षेत्र के साथ नेहरू-गांधी संबंध एक सदी पुराना है। यह वह रिश्ता है जो मोती लाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के दिनों से शुरू हुआ था। ये वो लोग हैं जो सन् 1921 में पुलिस की तरफ से हुए नरसंहार के दौरान किसानों के साथ खड़े थे। यह असहयोग आंदोलन के युग के दौरान था। उस समय प्रदर्शनकारी किसानों को गोली मार दी गई थी और बाद में जवाहर लाल नेहरु को भी किसानों को समर्थन देते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। प्रियंका ने यह घटना इन चुनावों के लिए रायबरेली में पार्टी कार्यकर्ताओं की पहली बैठक के दौरान भी बताई।
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