अनुकूल मौसम और ज्यादा उपज देने वाली गेहूं की किस्म पीबीडब्ल्यू 826 की प्रभावशीलता की वजह से पंजाब को इस साल 172 लाख मीट्रिक टन की बंपर फसल की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि करीब सभी जिलों में प्रति एकड़ 22 क्विंटल उत्पादन अधिक हुआ है। पंजाब के अधिकारियों की तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है। माना जा रहा है कि प्रति एकड़ फसल बढ़ने से किसानों को भी काफी अच्छा फायदा होने वाला है।
पंजाब को इस साल 172 लाख मीट्रिक टन की बंपर फसल की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि करीब सभी जिलों में प्रति एकड़ 22 क्विंटल उत्पादन ज्यादा हुआ हुआ है। पंजाब के अधिकारियों की तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है। माना जा रहा है कि प्रति एकड़ फसल बढ़ने से किसानों को भी काफी अच्छा फायदा होने वाला है।
पंजाब के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि सभी जिलों ने फसल-कट एक्सपेरीमेंट (फसल की उपज तय करने का एक तरीका) के दौरान प्रति एकड़ करीब 22 क्विंटल उपज की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में प्रति एकड़ औसतन दो क्विंटल का इजाफा हुआ है। कुछ जगहों पर तो बढ़ोतरी दो क्विंटल से भी ज्यादा है। पिछले साल पंजाब में औसतन 19 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार दर्ज की गई थी।
इस बार, राज्य ने ज्यादा उपज देने वाली गेहूं की किस्म पीबीडब्ल्यू 826 को चुना है। इसे चार साल के क्लीनिकल और फील्ड ट्रायल्स के बाद साल 2022 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) की तरफ से डेवलप और पेश किया गया। बेहतर गर्मी सहनशीलता की खासियत वाली पीबीडब्ल्यू 826 किस्म ने आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली बाकी किस्म एचडी 3086 की तुलना में 31 फीसदी ज्यादा और एचडी 2967 किस्म की तुलना में 17 फीसदी ज्यादा उपज साबित की है।
पंजाब में आम तौर पर, गेहूं की कटाई का एक बड़ा हिस्सा 13 अप्रैल तक पूरा हो जाता है। लेकिन इस साल, कटाई अप्रैल के बाद शुरू हुई, जिससे गेहूं की फसल को पकने के लिए अधिक समय मिल गया, जिसके परिणामस्वरूप अधिक उपज हुई। अप्रैल के पहले हफ्ते तक, जब गेहूं की फसल अंतिम चरण में थी, अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा। इससे गर्मी के तनाव के कारण उपज का नुकसान होने से बच गया।