tag manger - सेब खरीदने को हिमाचल की मंडियों में उतरा अडानी-समूह – KhalihanNews
Breaking News
khalihannews.com

सेब खरीदने को हिमाचल की मंडियों में उतरा अडानी-समूह

लगातार बारिश, बर्फबारी,बादल फटने और पहाड़ दरकने जैसी आपदाओं से हिमाचल प्रदेश के सेब बागानों के बुरे हालात पैदा कर दिए। हिमाचल की आर्थिकी सेब की फसल पर निर्भर करती है।

हिमाचल प्रदेश में अडाणी- समूह के तीन जगह सैंज, बिथल और रोहड़ू में कोल्ड स्टोरेज हैं। इनकी सेब स्टोर करने की क्षमता 25 हजार मीट्रिक टन की है। बीते साल खरीद के बाद तीनों स्टोर पूरी तरह भर गए थे। अडाणी- समूह इनमें अभी सेब खरीदकर रखता और दिसंबर के बाद,जब दुनिया में कभी भी सेब पेड़ों पर नहीं बचता है तब जाकर इसी सेब को अडाणी देश के बाजार में बेचता है।

पिछले सालों के दौरान अडाणी के स्टोर के बाद सेब से लदी गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थी। ऊंचे क्षेत्रों के बागवान अडाणी को सेब देने के लिए तरसते थे, क्योंकि मंडियों की तुलना में अडाणी के पास पेमेंट का भुगतान जल्दी होता है और पैकिंग का खर्च भी बचता है। इस बार ऐसा नहीं है।

हिमाचल में अडाणी ने पहली बार मंडियों में जाकर सेब की खरीद शुरू कर दी है। कम फसल और बागवानों के बायकॉट की वजह से अडाणी के हिमाचल में चल रहे तीनों स्टोर खाली रह गए है। बीती पांच सितंबर तक कुल भंडारण क्षमता का दो फीसदी सेब भी अडाणी-समूह को नहीं मिल पाया है। इन्हें भरने के लिए अब अडाणी प्रबंधन ने मंडियों में ओपन बोली लगाकर सेब खरीदने का निर्णय लिया है।

हिमाचल प्रदेश में अडाणी-समूह ने पहली बार मंडियों में जाकर सेब की खरीद शुरू कर दी है।इस साल कम फसल होने और बागवानों के बायकॉट की वजह से अडाणी के हिमाचल में चल रहे तीनों स्टोर खाली रह गए है। पांच सितंबर तक कुल क्षमता का दो फीसदी सेब भी अडाणी को नहीं मिल पाया है। इन्हें भरने के लिए अब अडाणी प्रबंधन ने मंडियों में ओपन बोली लगाकर सेब खरीदने का निर्णय लिया है।हिमाचल में अडाणी 14-15 साल से सेब की खरीद कर रहा है। यह पहला मौका है जब अडाणी समूह को मंडियों में उतरकर सेब खरीदना पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश में अडाणी 14-15 साल से सेब की खरीद कर रहा है। यह पहला मौका है जब अडाणी समूह को मंडियों में उतरकर सेब खरीदना पड़ रहा है।

अडाणी ने अगस्त के आखिरी सप्ताह में सेब के रेट ओपन किए। तब प्रीमियम सेब का अडाणी ने 96 रुपए रेट खोला, जबकि ओपन मार्केट में सेब 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा था। इससे चालाकी को बागवान समझ गए कि अडाणी ने कम रेट दिए है। इसलिए बागवानों ने अडाणी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। अब मजबूरन अडानी-समूह को मंडियों में पहुंचकर किलो के हिसाब से हिमाचली सेब खरीदना पड़ रहा है।Images Credit – Google

About

Check Also

प्रदेश सरकार ने इस वर्ष से यूनिवर्सल कार्टन को शुरू किया है। इससे जहां बागवानों को लाभ मिल रहा है, वहीं सेब आढ़तियों को भी इसका फायदा पहुंच रहा है। पहले जहां एक पेटी में 28 से 32 किलोग्राम सेब जाता था, वहीं अब यूनिवर्सल कार्टन के चलते प्रति पेटी 22 से 24 किलोग्राम सेब बिक रहा है। खाली पड़ी जगहों में भी सेब की नई पौध लगाई जा रही है। जिले में हर वर्ष बागवान अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। इस वर्ष भी जिले में सेब से बागवानों को करीब आठ करोड़ की कमाई हुई है।

हिमाचल प्रदेश : किन्नौर में सबसे ज्यादा पैदा सेब, देश की मंडियों में पहुंचा 45 लाख पेंटी सेब

हिमाचल प्रदेश का सेब देशभर में अपनी साख बनाए हुए है। इस बार प्रदेश में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *