बिहार के उद्यान विभाग ने राज्य में प्याज समेत अन्य कृषि उत्पादों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष उद्यानिक फसल योजना शुरू की है| इस योजना के तहत उद्यान विभाग प्याज की खेती के लिए किसानों को एक हेक्टेयर पर 49 हजार रुपये दे रही है| किसानों को यह राशि सब्सिडी के तहत दी जाएगी| असल में उद्यान विभाग ने प्याज की खेती के लिए 50 फीसदी सब्सिडी निर्धारित की है| वहीं एक हेक्टेयर पर 98 हजार रुपये लागत निर्धारित की गई है| इसके अनुसार किसानों को एक हेक्टेयर के लिए 49 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है|
बिहार सरकार के उद्यान विभाग की तरफ से शुरू की विशेष उद्यानिक फसल योजना के तहत प्याज की खेती पर सब्सिडी का लाभ चुनिंंदा जिलों के किसान ही ले सकते हैं| योजना के तहत औरंगाबाद, भागलपुर, बेगूसराय, दरभंगा, गया, कैमूर, कटिहार, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, रोहतास, समस्तीपुर, सारण, सीतामढी, सिवान और वैशाली जिलों के किसान प्याज की खेती पर सब्सिडी के लिए लाभ प्राप्त कर सकते हैं|
देश भर के प्याज उत्पादन में बिहार की कुल हिस्सेदारी लगभग छह फीसदी हो गई है| निश्चित तौर पर बिहार जैसे राज्य के लिए ये बड़ी खबर है, जहां कई बार प्याज की किल्लत की खबर आती है| बिहार में लगभग 58 लाख हेक्टेयर खेत में प्याज की खेती होती है और लगभग 13 से 14 लाख टन प्याज का उत्पादन होता है| सबसे ज़्यादा नालंदा और पटना जिला में प्याज़ का उत्पादन होता है|
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक प्याज का घरेलू उत्पादन 165 लाख टन सालाना का है, जो कि इसकी सालाना खेती से काफी कम है। वहीं कभी-कभी बारिश की वजह से कभी-कभी निर्यात बढ़ जाने की वजह से प्याज की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं। प्याज की वजह से सरकारों पर भी काफी असर पड़ा है, बल्कि कई बार तो प्याज के चलते ही सरकारें गिर चुकी हैं।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक प्याज का घरेलू उत्पादन 165 लाख टन सालाना का है, जो कि इसकी सालाना खेती से काफी कम है। वहीं कभी-कभी बारिश की वजह से कभी-कभी निर्यात बढ़ जाने की वजह से प्याज की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं। प्याज की वजह से सरकारों पर भी काफी असर पड़ा है, बल्कि कई बार तो प्याज के चलते ही सरकारें गिर चुकी हैं।