tag manger - केरल : महिलाओं द्वारा नारियल की तुड़ाई में नए अवसरों की तलाश – KhalihanNews
Breaking News

केरल : महिलाओं द्वारा नारियल की तुड़ाई में नए अवसरों की तलाश

भारत में नारियल की खेती का कुल क्षेत्रफल 20.96 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से अकेले केरल में 7.60 लाख हेक्टेयर भूमि है।

केरल 5,230 मिलियन नारियल के उत्पादन के साथ देश में पहले नंबर पर है। जबकि देश में 23,798 मिलियन नारियल का उत्पादन होता है।

अब, नारियल की तुड़ाई कार्य को केवल पुरूषों का ही कार्य नहीं माना जाएगा। महिला सहभागी भी इस कार्य में पुरूषों को बराबर की टक्‍कर देंगी क्‍योंकि ‘फ्रेन्‍डस ऑफ कोकोनट’ के पहले बैच द्वारा अभी हाल ही मे भारतीय मसाले अनुसंधान संस्‍थान, कोझीकोड, केरल के पेरूवन्‍नामुझी कृषि विज्ञान केन्‍द्र में अपना छ: दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया गया है।

भारतीय मसाले अनुसंधान संस्‍थान, कोझीकोड, केरल द्वारा अभी हाल ही में 20 महिलाओं (20 से 35 वर्ष) के एक समूह के लिए नारियल पेड़ पर चढ़ने पर ‘ऑल वोमेन’ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को नारियल विकास बोर्ड द्वारा लागू किए जा रहे ‘फ्रेन्‍डस ऑफ कोकोनट’ कार्यक्रम के भाग के रूप में आयोजित किया गया जिसका प्रयोजन नारियल के पेड़ पर चढ़ने की कला में और इनकी देखभाल करने में बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित करना था। पहली बार कृषि विज्ञान केन्‍द्र, पेरूवन्‍नामुझी द्वारा बोर्ड के फ्रेन्‍डस ऑफ कोकोनट ट्री कार्यक्रम के भाग के तौर पर पूरी तरह से महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नारियल ताड़, जलवायु, मृदा की जरूरतों व किस्‍मों, क्‍लाइम्बिंग मशीन के मुख्‍य भागों, कार्यों एवं परीक्षण, पोषक तत्‍व प्रबंधन, ताड़ अपशिष्‍ट की रिसाइक्लिंग, अंतर-फसलचक्र तथा मिश्रित फसलचक्र आदि के बारे में जानकारी को शामिल किया गया। इसके साथ ही, नारियल पेड़ पर चढ़ने पर प्रैक्‍टीकल सीख, तुडाई करने, मुलायम एवं परिपक्‍व गिरी की पहचान करने, नारियल के नाशीजीवों व रोगों की पहचान एवं उनकी रोकथाम करने, क्राउन स्‍वच्‍छता पहलुओं, बीज गिरी की खरीद, बीज गिरी व मुलायम गिरी की सुरक्षित देखभाल, नारियल नर्सरी और इसके प्रबंधन आदि पर प्रशिक्षण सत्र चलाये गये।

प्रशिक्षण के प्रत्‍येक दिन की शुरूआत में शारीरिक अभ्‍यास कराना भी कार्यक्रम की अन्‍य विशेषता थी। प्रशिक्षुओं के अनुसार, नारियल के पेड़ पर चढ़ना एक सरल कार्य है और उनके द्वारा मशीन का उपयोग करते समय किसी प्रकार की थकान को महसूस नहीं किया गया। प्रशिक्षण के अंतिम सत्र में, ‘कोकोनट ओलम्पिक्‍स’ का आयोजन भी किया गया जिसमें प्रशिक्षु केवल 48 – 50 सेकण्‍ड के भीतर ही नारियल पेड़ पर चढ़ने में कामयाब रहीं जो कि उनके पुरूष सहभागियों के समतुल्‍य था।

प्रशिक्षुओं का कहना था कि इस प्रशिक्षण से उन्‍हें विश्‍वास मिला है कि यदि उनमें इच्‍छा शक्ति है तब वह कुछ भी कर सकती हैं। इसके अलावा, हम अब एक दिन में तीन से चार घंटे तक काम करके अच्‍छी धनराशि कमाने में समर्थ हुई हैं – ऐसा कहना है पेरूवन्‍नामुझी की अनीला मैथ्‍यु का जो कि कृषि विज्ञान केन्‍द्र में प्रशिक्षित नारियल पेड़ पर चढ़ने वाली एक प्रशिक्षु हैं।

अनीला ने आगे बताते हुए कहा कि हमारी सफलता से प्रभावित होकर अनेक महिलाओं ने मशीनों का उपयोग करके नारियल के पेड़ पर चढ़ने वाले प्रशिक्षण के बारे में हमसे सम्‍पर्क किया है। एक अन्‍य प्रशिक्षु रीजा वीजी ने बताया कि मशीन का उपयोग करके मैं एक दिन में 25 से 30 पेड़ों पर चढ़ सकती हूं और तीन घंटे की अल्‍प अवधि में ही लगभग 400 रूपये तक कमा सकती हूं। इन्‍होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ अपनी आजीविका के रूप में उठाया है।

यह एक विडम्‍बना ही है कि नारियल की भूमि केरल पिछले कुछ वर्षों से नारियल की तुड़ाई करने वाले प्रशिक्षित कामगारों की कमी से जूझ रहा है। इसके समाधान के लिए,भारतीय मसाले अनुसंधान संस्‍थान, कोझीकोड, केरल के कृषि विज्ञान केन्‍द्र द्वारा नारियल विकास बोर्ड के सहयोग से मशीनों का उपयोग करते हुए नारियल के पेड़ पर चढ़ने हेतु अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। अनेक महिलाएं अब इस कार्य को एक पेशे के तौर पर ले रही है और साथ ही अपने परिवार की आमदनी को बढ़ाने में अपना योगदान कर रही हैं।

About admin

Check Also

एथेनॉल के ल‍िए मक्का की खेती बढ़ाने में जुटा भारत

एथेनॉल के ल‍िए मक्का की खेती बढ़ाने में जुटा भारत

देश के विभिन्न हिस्सों में पानी के संकट और लगातार बदलती आबोहवा के मद्देनजर सरकारों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *