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पश्चिम बंगाल : नौ हजार करोड़ से अधिक का कृषि बजट पेश, जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर

राज्य के कृषि मंत्री शोभंदेब चट्टोपाध्याय ने कृषि बजट पेश 2022-23 को विधानभा में पेश करते हुए कहा कि रासायनिक खाद के कम से कम इस्तेमाल करने के लिए और जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार काम कर रही है| इसी के तहत कृषि गतिविधियों के लिए रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को विनियमित करने के लिए, राज्य सरकार ने राज्य भर में 257 जैविक गांव बनाए हैं जहां जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है|

पश्चिम बंगाल में कृषि को बढ़ावा देने के लिए साथ ही किसानों के कल्याण के लिए कृषि बजट पर इस बार खास जोर दिया गया है| पश्चिम बंगाल विधानसभा में कृषि विभाग के लिए नौ हजार तीन सौ दस करोड़ अस्सी-नौ लाख चौहत्तर हजार की राशि पारित की गई|

मंत्री ने कहा कि बंगाल में निर्मित धान के बीज वर्तमान में बिहार, झारखंड, ओडिशा और यहां तक ​​कि नेपाल जैसे राज्यों को निर्यात किए जा रहे हैं| उन्होंने कहा, ‘हमने राज्य में टिश्यू कल्चर के जरिए 462 मीट्रिक टन उच्च गुणवत्ता वाले धान के बीज को वायरस मुक्त बनाया है|

मंत्री के अनुसार, राज्य ने इस खरीफ सीजन में 183 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन किया है, जो अब तक का रिकॉर्ड है| कृषि बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कृषि विभाग के मानद सलाहकार और दुर्गापुर पुरबा से टीएमसी विधायक प्रदीप मजूमदार ने कहा कि हालांकि राज्य देश में धान उत्पादन में अग्रणी है| केंद्र ने राज्य के किसानों से एक लाख मीट्रिक टन धान भी नहीं खरीदा है|

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य के 10 लाख किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है| जबकि अब तक राज्य के 59 लाख किसानों का डाटा अपेक्षित पोर्टल में अपलोड किया गया है| पर केंद्र सरकार द्वारा 2022 जनवरी में मात्र 38 लाख किसानों को ही योजना के तहत लाभ देने की मंजूरी दी है| उन्होंने बताया कि हालांकि 10 लाख किसानों को उनके आवेदन के संबंध में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अब तक वो लाभ लेने से वंचित है| गौरतलब है कि पीएम किसान निधि के तहत फंड साल में तीन से चार महीने के अंतराल में दिया जाता है|

बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कृषक बंधु योजना के तहत 78 लाख किसानों को लाभ दिया जा रहा है| बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बटाईदारों को भी कृषक बंधु लाभ मिलता है|

कृषि मंत्री चट्टोपाध्याय ने कहा, “शारीरिक रूप से विकलांग 86हजार523 किसान पेंशन प्राप्त कर रहे हैं| यदि कोई किसान प्राकृतिक आपदा से शारीरिक रूप से प्रभावित होता है, तो उसे 55 साल बाद पेंशन मिलती है| उन्होंने कहा कि हर जिले में जैविक गांव स्थापित किए गए हैं और 10हजार600 किसान लाभान्वित हो रहे हैं| उन्होंने कहा, “हम लगातार जैविक गांवों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं|

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