यह चौंकाने वाली बात है कि भारत में खादों की बिक्री में उछाल तब दर्ज किया गया है जब इस बार मॉनसून सही नहीं रहा है। यहां तक कि वर्ष 1901 के बाद इस बार मासिक बारिश सबसे कम रही है। चूंकि खादों की बिक्री पूरी तरह से बारिश पर निर्भर करती है, इसलिए इस साल खादों की बिक्री घटनी चाहिए थी, लेकिन इसमें तेजी आना चौंकाने वाली बात है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही यानी कि अप्रैल से सितंबर तक खादों की बिक्री में 12 परसेंट की वृद्धि हुई है। एक ताजा आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, सभी खादों की बिक्री 319 लाख टन से भी अधिक हो गई है। पहले यह बिक्री 282 लाख टन हुआ करती थी। एक साल पहले इसी अवधि में देश में 282 लाख टन खादों की बिक्री हुई थी जबकि इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान यह बिक्री 319 लाख टन पर पहुंच गई है।
देश में सबसे अधिक यूरिया की खपत होती है। इसकी बिक्री में लगभग सात परसेंट की वृद्धि है जो कि पिछले साल के 172 लाख टन के मुकाबले इस साल 184 लाख टन में पहुंच गई है। हालांकि इस साल सबसे अधिक डाइ अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की बिक्री हुई है। डीएपी की बिक्री में 24 फीसद से अधिक का उछाल है। पिछले साल डीएपी 51.50 लाख टन बिकी थी जो कि इस साल बढ़कर 64 लाख टन पर पहुंच गयी।
रबी सीजन की फसलों की बुवाई चल रही है, उसके लिए आपको खाद की जरूरत पड़ी होगी। आपने यूरिया, डीएपी और पोटास खरीदा होगा ताकि उसे गेहूं, सरसों और दलहन फसलों की बुवाई में इस्तेमाल कर सकें। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये खाद नकली हो सकता है। विशेष रूप से डीएपी. यह काफी महंगी खाद होती है, इसलिए इसमें मिलावट की संभावना ज्यादा रहती है। साथ ही नकली खाद मिलने की भी ज्यादा संभावना होती है। महाराष्ट्र सरकार तो बाकायदा इसके लिए कानून ले आई है कि नकली खाद, बीज मिलेगा तो उत्पादक और बेचने वालों पर कारवाई होगी। लेकिन, इस कानून से पहले आप जान लीजिए कि कैसे नकली और असली डीएपी की पहचान होगी।
डीएपी का पूरा नाम डाई अमोनियम फास्फेट है। कुछ जगहों पर गांव के ज्यादातर लोग इस खाद को डाई के रूप में जानते हैं। यह एक छारीय प्रकृति का रासायनिक उर्वरक है। डाई अमोनियम फास्फेट दुनिया की सबसे लोकप्रिय फास्फोटिक खाद है. इसका इस्तेमाल पौधों में पोषण के लिए और उनके अंदर नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है।
डीएपी खाद में मिलावट की शिकायते ज्यादा आती हैं। फ़सल बचाने और मिलावटी या नकली डीएपी की घर पर ही आसानी से की जा सकती है। असली खाद की पहचान करने के संकेत इस प्रकार हैं–
डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है।
-यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते है तो समझ लें यही असली डीएपी है।
-डीएपी के कठोर दाने, भूरे काले एवं बादामी रंग के होते हैं और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।