बिहार में किसान अब धान, मक्का, गेहूं की परंपरागत खेती की जगह अन्य लाभकारी खेती की तरफ रुख़ कर रहे हैं। कम जगह में ही सही लेकिन किसान अब मसालों की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं। बिहार में बेगूसराय जिले के किसानों ने सौंफ की खेती की तरफ रुख़ किया है। इस जिले की आबोहवा सौंफ की खेती के लिए अनुकूल बतायी गई है।
राजेन्द्र प्रसाद कॄषि विवि के विषय विशेषज्ञों ने जिले की मिट्टी में सौंफ बोने के लिए प्रयोग किया। सफल प्रयोग के बाद अब बेगूसराय जिले में किसान सौंफ की खेती करेंगे। इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। ऐसे भी सौंफ भारतीय किचन का एक अहम मसाला है। इसका उपयोग स्वादिष्ट पकवान बनाने में किया जाता है। वहीं, कई लोग सौंफ का इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के तौर भी करते हैं। सौंफ को मिश्री के साथ मिलाकर खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
बिहार में सौंफ बोने के लिए अनुकूल आबोहवा होने पर किसान ख़ुश हैं। रेतीली भूमि को छोड़कर सौंफ की फार्मिंग किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। सौंफ की खेती के लिए मिट्टी का पीएचमान 6.6 और 8.0 अच्छा माना गया है। वहीं, 20 से 30 डिग्री तक का तापमान सौंफ की खेती के लिए बेहतर होता है। बेगूसराय स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को सौंफ की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
बेगूसराय की मिट्टी सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त है। जिले में राजेंद्र सौरभ किस्म के सौंफ को ट्रायल के तौर पर उगाया गया है, जो सफल रहा। उनकी माने तो ट्रायल में ही सौंफ की अच्छी पैदावार मिली है. अगर किसान भाई सौंफ की खेती करना चाहते हैं, तो पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें।फिर पाटा चलाकर सौंफ की खेत को समतल कर लें।
आयुर्वेद के अनुसार सौंफ में कई सारे विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं।यह विटामिन सी का खजाना है। इसमें आयरन, सोडियम, फॉस्फोरस ,कैल्शियम और पोटेशियम प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। हरे सौंफ का नियमित सेवन करने से गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर और पेट मरोड़ में काफी फायदा होता है। यही वजह है कि मार्केट में सौंफ की मांग हमेशा रहती है। ऐसे में अगर किसान भाई सौंफ की खेती करते हैं, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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