हरियाणा सरकार ने चार जिलों में खराब गेहूं के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल और फतेहाबाद में पड़े क्षतिग्रस्त गेहूं के संबंध में सरकार ने मामले को संज्ञान लिया है| मुख्य सचिव ने इन जिलों के प्रशासनिक सचिव, सह जिला इंचार्ज को एक माह में रिपोर्ट देने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं|
उप मुख्य मंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रशासनिक सचिवों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं और अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी|
उन्होंने कहा कि खराब हुए गेहूं की नीलामी पशुओं के चारे के रूप में की जाएगी| इससे 40 करोड़ रुपये से अधिक की आय होने की उम्मीद है| उन्होंने कहा कि 2018-19 और 2019-20 की अवधि में अतिवृष्टि और अनाज के नुकसान के कारण 44,700 मीट्रिक टन गेहूं खराब हो गया था और इस स्टॉक को खरीद के बाद अलग रखा गया था|
इस बार 410 खरीद केंद्रों पर गेहूं की खरीद सुनिश्चित की गयी थी। इनमें सिरसा में गेहूं खरीद के लिए 64 मंडियां बनाई गई थी| जबकि फतेहाबाद में 51, कैथल में 41, जींद में 35, हिसार में 29, सोनीपत में 24, करनाल-कुरुक्षेत्र में 23-23, अंबाला में 15, पलवल-यमुनानगर में 13-13, पानीपत में 12, भिवानी में 11, झज्जर-रोहतक में 10-10, दादरी में 8, फरीदाबाद व महेंद्रगढ़ में 6-6, गुरु ग्राम व नूंह में 5-5, पंचकूला व रेवाड़ी में 3-3 मंडियों में खरीद ककी गयी। हरियाणा में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की गयी |