बस्तर जिले में प्रतिवर्ष 1000 एकड़ में कॉफी की खेती को विस्तारित किए जाने का लक्ष्य है| वर्ष 2026 तक 5820 एकड़ में इसकी खेती होने लगेगी| कॉफी की खेती को बढ़ावा दिए जाने का कार्य किया जा रहा है|
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में खास तौर पर जशपुर में चाय और दक्षिणी हिस्से खास तौर पर बस्तर जिले में कॉफी की खेती और प्रसंस्करण की व्यापक संभावनाएं हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति में बागवानी और उद्योग विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
बयान में बताया गया कि राज्य के उद्योग मंत्री बोर्ड के उपाध्यक्ष और मुख्यमंत्री सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन के आयुक्त और छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) के प्रबंध निदेशक और कृषि/बागवानी और वन विभाग के एक-एक अधिकारी इसके सदस्य होंगे। इसके अलावा बोर्ड में दो विशेष सदस्य भी होंगे।
छत्तीसगढ़ टी-कॉफी बोर्ड की बैठक में बस्तर एवं सरगुजा संभाग में चाय और कॉफी की खेती के रकबे को विस्तारित करने तथा बस्तर में उत्पादित कॉफी की मार्केटिंग के लिए प्राइवेट कंपनियों से एमओयू किए जाने का निर्णय लिया गया| बस्तर में उत्पादित कॉफी के विक्रय व मार्केटिंग के लिए रायपुर एवं नई दिल्ली में बस्तर कैफे प्रारंभ किए जाने की पहल की गई है|
यहां यह उल्लेखनीय है कि बस्तर में उत्पादित कॉफी के लिए विक्रय सह-मार्केटिंग फिलहाल जगदलपुर में बस्तर कैफे का संचालन किया जा रहा है|
जशपुर जिला में चाय की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। यहां सरकार ने जिला खनिज न्यास, वन विभाग, डेयरी विकास योजना और मनरेगा की योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करते हुए 80 एकड़़ भूमि में चाय बागान विकसित हो रहे हैं।
तीन साल बाद जब बागानों से चाय का उत्पादन शुरू होगा तो प्रति एकड़़ दो लाख रुपये सालाना तक का किसान लाभ कम सकेंगे। यह धान की खेती से कहीं अधिक लाभकारी साबित होगा। इसी तरह बस्तर केदरभा, ककालगुर और डिलमिली में काफी की खेती विकसित हो चुकी है। काफी उत्पादन केलिए समुद्र तल से हम500 मीटर की ऊंचाई जरूरी है। बस्तर के कई इलाकों की ऊंचाई समुद्र तल से 600 मीटर से ज्यादा है जहां ढलान पर खेती के लिए जगह उपलब्ध है।
भारत में 2020 में कुल 1255.60 मिलियन किलो ग्राम चाय का उत्पादन हुआ था| इसमें 2019 के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई थी| कोरोना और असम में बाढ़ के कारण चाय उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई थी| वर्ष 2019 में 2020 के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत अधिक चाय का उत्पादन हुआ था|