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राजस्थान : ‘ पानी बचाओ’ संदेश के साथ पाली पहुंची रेल, किसानों तक की बुझेगी प्यास

पाली जिले के 8 शहर (कस्बे) और 561 गांव को चिन्हित किया है, जहां अब वॉटर ट्रेन के जरिए पेयजल आपूर्ति पूरी की जाएगी।
अधिकारी के अनुसार 16 मार्च 2022 तक जंवाई बांध पेयजल आपूर्ति की जा सकी है, अब निरंतर पेयजल की समस्या का निदान हो सके, इसके लिए जल्द मानसून की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल जल आपूर्ति पूरी करने के लिए वॉटर ट्रेन चलाई गई है।

पाली जिले के 8 शहर (कस्बे) और 561 गांव को चिन्हित किया है, जहां अब वॉटर ट्रेन के जरिए पेयजल आपूर्ति पूरी की जाएगी। अधिकारी के अनुसार 16 मार्च 2022 तक जंवाई बांध पेयजल आपूर्ति की जा सकी है, अब निरंतर पेयजल की समस्या का निदान हो सके, इसके लिए जल्द मानसून की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल जल आपूर्ति पूरी करने के लिए वॉटर ट्रेन चलाई गई है।

यह ट्रेन 2 फेरे करेगी । साथ ही करीब 40 लाख लीटर पानी पाली पहुंचाएगी। यह रोज़ कई फेरे लगायेगी | रेलवे अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक पाली जिले के पेयजल आपूर्ति सिरोही जिले के शिवगंज कस्बे में स्थित जंवाई बांध से की जा रही थी, लेकिन साल 2021 के मानसून में जवाई बांध में अपेक्षाकृत जल आवक कम होने से इस साल पाली जिले में कई कस्बों में आपूर्ति संभव नहीं है।

पाली की किल्लत से हालात इतने खराब हो रहे है कि पानी के लिए कई जतन करते पड़ रहे है। पाली शहर के निकट राऊनगर में ग्रामीणों तालाब के बीच गड्डा खोदकर कुएं का रूप देकर उस पानी से अपनी व मवेशियों की प्यास बुझा रहे है। रात में लोग नींद नहीं लेकर गांव के लोग जलदाय विभाग की हौदी पर पानी लेने आते हैं, बच्चे व महिलाएं दो से तीन किलोमीटर का गर्मी में पैदल सफर कर जरीकेन भरकर पानी ले जाते हैं, दिनभर यही मशक्कत करनी पड़ती है। छोटे गड्डे में जहां भी पानी दिख जाए, महिलाएं इसकी जुगत में जुट जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि कहीं पर भी पानी नहीं है। पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। जहां थोड़ा बहुत पानी दिखता है। वहां पर ही भरने लग जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी परवाह किसी को नहीं है।
यहां पानी सबसे बड़ी जंग हो गई, हर कोई जीतना चाहता है|

पाली मुख्यालय के निकट रूपावास राऊ नगर में एक गड्डे में मटमेला पानी पिछले कई दिनों से भरा है। गांव में दूसरी जगह पानी नहीं है। ऐसे में ग्रामीण सभी परवाह छोड़ इसी पानी को पीने व जुटाने में जुट गए हैं। यहां भीड़ रहती है। इस पानी पीने से शरीर में क्या दुष्परिणाम होंगे, यह पता नहीं है, लेकिन ऐसा पानी पीना उनकी मजबूरी है। क्याेंकि गांव में दूसरी जगह पानी नहीं है।

पानी के लिए झगड़ा, माहौल खराब होने की नौबत गिरादड़ा, रूपावास, राऊ नगर, भाटो की ढाणी, मुलियावास, दयालपुरा, गुरड़ाई, भांवरी सहित आसपास के गांवों में पानी की भारी किल्लत है। यहां पानी के लिए आए दिन ग्रामीणों में झगड़े हो रहे हैं, इससे माहौल भी खराब हो रहा है। जलदाय विभाग की ओर से गिरादड़ा सहित आसपास के गांवों में आठ दिन से पानी आता है, वह भी आधे घंटे ही, ऐसे में पानी भरने के लिए जीएलआर पर झगड़े होते है।

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