सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने देश में भू-जल स्तर को मेंटेन रखने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है| इसको लेकर भू-जल को आर्टिफिशियल रिचार्ज करने का सुझाव दिया गया है|
मास्टर प्लान के अनुसार, झारखंड का कुल क्षेत्रफल 79,710 वर्ग किलोमीटर है| इसमें से 28,748 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भू-जल के स्तर को बनाये रखने के लिए आर्टिफिशियल रिचार्ज करने का सुझाव दिया गया है|
कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर मॉनसून के बाद भी भू-जल का स्तर तीन मीटर से ज्यादा नीचे रहता है| साथ ही इन क्षेत्रों में लगातार 10 साल तक औसतन 10 सेंटीमीटर से अधिक जल स्तर नीचे जा रहा है| मास्टर प्लान में कहा गया है कि झारखंड के शहरी क्षेत्र में घर की छत पर वर्षा जल जमीन में जमा करने (वाटर हॉर्वेस्टिंग) की अपार संभावनाएं हैं|
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य के 24 जिला मुख्यालयों में मकानों की संख्या 15,25,412 है| अगर इसकी तुलना वर्ष 2001 की जनगणना से की जाये, तो 44 प्रतिशत की दर से मकानों की संख्या में वृद्धि हो रही है| ऐसे में वर्ष 2021 तक 24 जिलों में मकानों की संख्या बढ़ कर 21,96,593 हो जायेगी| इसमें से 25 प्रतिशत मकानों (5.5 लाख) में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा सकती है|
रेगुलेशन के तहत 300 वर्गमीटर के मकान की छत पर वाटर हार्वेस्टिंग कराने पर 25 हजार रुपये व 1000 वर्गमीटर मकान पर वाटर हार्वेस्टिंग कराने पर एक लाख रुपये खर्च आता है| ऐसे में राज्य को आर्टिफिशियल रिचार्ज की व्यवस्था कराने में 5,357.80 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा| इसमें ग्रामीण इलाकों में 4,053.57 करोड़ व शहरी क्षेत्र में 1304.34 करोड़ रुपये खर्च होंगे|