मार्च-अप्रैल में अप्रत्याशित रूप से तापमान में बढ़ोतरी से हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। विशेषकर निचले ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फ्लावरिंग और सेटिंग प्रभावित हुई है।
शिमला जिले के अलावा कुल्लू के आनी और दलाश, मंडी के करसोग सहित अन्य क्षेत्रों में 6000 फीट से कम ऊंचाई वाले बागीचों में नुकसान हुआ है। बागवानी विभाग ने जिला उप निदेशकों से नुकसान की रिपोर्ट मांगी है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी से ठंड का दौर मुझे पूरे होने के बाद इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन समय से पहले तापमान बढ़ने से फ्लावरिंग और फ्रूट सेटिंग प्रभावित हुई है।
प्रदेश के जनजातीय जिले किन्नौर में कुछ दिनों से गर्मी का प्रकोप जारी है। इससे तापमान में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। एक माह से बारिश नहीं होने से बागवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहाड़ भी तपने लगे हैं। बर्फ और ग्लेशियर भी तेजी से पिघलने लगे हैं। अचानक मौसम में बदलाव और तापमान में बढ़ोतरी होने से इस वर्ष मार्च के अंत में सेब की फ्लावरिंग हो चुकी है। यह फ्लावरिंग अप्रैल में होती थी। जिले के बागवानों का कहना है कि इस वर्ष अचानक तापमान बढ़ने से सेब की फ्लावरिंग 12 से 15 दिन पहले ही हो गई है।
आम तौर पर पहाड़ों में मई-जून में गर्मी का असर देखने को मिलता है लेकिन इस बार मार्च से ही मौसम ने करवट ले ली है| ऊना में सीजन का सबसे गर्म दिन दर्ज हुआ और यहां सोमवार को अधिकतम तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है|
वहीं मार्च महीने में ही हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में असामान्य रूप से गर्म मौसम की स्थिति ने सेब उत्पादकों और बागवानी विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है, क्योंकि वे पिछले वर्षों की तुलना इस साल मार्च में इस उच्च तापमान को लेकर खासे चिंतित हैं| प्रदेश में पिछली बार पांच हजार करोड़ से अधिक का सेब का कारोबार हुआ था|
प्रदेश के बागवानी विशेषज्ञों और उत्पादकों के अनुसार अगर तापमान में जल्द ही गिरावट नहीं आती है और गर्मी जैसी स्थिति बनी रहती है तो सेब के उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है| हिमाचल के कुछ हिस्सों में इस समय बागों में सेब की फसल में फूल आ चुके हैं, जो आमतौर पर अप्रैल के पहले सप्ताह में आना शुरू होते थे| यानि इस बार 10 से 12 जिन पहले हि फूल आ चूके हैं|
सेब हिमाचल प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से है, जो प्रदेश के कुल फसली क्षेत्र का लगभग 49% और कुल फल उत्पादन का लगभग 85% है|
मौसम विभाग की ओर से हिमाचल में मार्च के अंतिम दिनों में ही गर्म हवाएं चलने की संभावना जताई है| ऐसे में प्रदेश घूमने के लिए पहुंचे पर्यटकों को भी ठंडक की बजाय गर्मी का अहसास हो रहा है| बता दें कि फरवरी तक पहाड़ों पर सर्द हवाएं चल रही थीं और मौसम में काफी ठंडक थी| मार्च के बीच से ही यहां पर मौसम में अचानक काफी बदलाव देखने को मिला|