बिहार की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी मखाना की खेती को प्रोत्साहन देने की तैयारी तेज हो गई है। प्रदेश में मखाना उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड में छत्तीसगढ़ को शामिल करने का फैसला किया है। धमतरी जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने छत्तीसगढ़ में मखाना की खेती के प्रयासों की सराहना करते हुए मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की। सरकार का कहना है कि इस बोर्ड के माध्यम से मखाना उत्पादक किसानों को तकनीकी, वित्तीय और विपणन से जुड़ी हर तरह की सहायता दी जाएगी।
उद्यानिकी विभाग के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 से “सेंट्रल सेक्टर स्कीम फॉर डेवलपमेंट ऑफ मखाना” की शुरुआत की है। इस योजना के तहत शत-प्रतिशत केंद्रीय अनुदान का प्रावधान किया गया है। योजना के पहले चरण में आगामी चार महीनों के लिए करीब 180 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है।
योजना के तहत तालाब में मखाना की खेती करने वाले किसानों को 1.79 लाख रुपये की इकाई लागत पर 40 प्रतिशत यानी लगभग 72 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। वहीं, अपने खेत में मखाना उत्पादन करने वाले किसानों को 1.32 लाख रुपये की लागत पर 40 प्रतिशत यानी करीब 53 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा नया तालाब बनाने के लिए 7 लाख रुपये की लागत पर 40 प्रतिशत यानी 2.80 लाख रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
मखाना के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए भी आकर्षक सहायता दी जा रही है। माइक्रो लेवल मखाना प्रसंस्करण इकाई के लिए 10 लाख रुपये की लागत पर 35 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी। वहीं एफपीओ (FPO) द्वारा स्थापित स्मॉल लेवल मखाना प्रोसेसिंग यूनिट पर 39 लाख रुपये की लागत के मुकाबले 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। निजी क्षेत्र के लिए इसी लागत पर 35 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। बड़े स्तर पर मखाना प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 7 करोड़ रुपये की लागत पर भी 35 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी।
सरकार ने मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और एक्सपोजर विजिट की सुविधा भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के माध्यम से मखाना की उन्नत और उत्कृष्ट खेती का प्रदर्शन किया जा रहा है, ताकि किसान इस फसल को अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकें।



