उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य के तहत अब पशुपालन क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पशुधन विभाग प्रदेश के 1.65 लाख पशुपालकों को आधुनिक पशुपालन तकनीकों का प्रशिक्षण देने जा रहा है।
इस पहल के तहत पशुपालकों और फील्ड कार्यकर्ताओं को पशुपालन की नवीनतम तकनीक, प्रजनन, पोषण, रोग प्रबंधन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन और पशु अपशिष्ट प्रबंधन के विषय में प्रशिक्षित किया जाएगा। उद्देश्य यह है कि वे उन्नत पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन और उत्पादकता दोनों में वृद्धि कर सकें।
विभागीय आकलन के अनुसार, प्रदेश के पशुपालन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (GVA) फिलहाल 1.43 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्तीय वर्ष 2028-29 तक 2.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। यानी पशुपालन क्षेत्र लगभग 14 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है।
इस लक्ष्य को पाने के लिए विभाग ने तीन-स्तरीय प्रशिक्षण प्रणाली बनाई है।
सबसे पहले 150 मास्टर ट्रेनर्स को राज्य के विभिन्न कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में छह बैचों में पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद ये मास्टर ट्रेनर्स 6400 पैरावेट्स (फील्ड तकनीकी कार्यकर्ताओं) को प्रशिक्षित करेंगे। अंततः ये पैरावेट्स 1,65,200 पशुपालकों तक प्रशिक्षण पहुंचाएंगे।
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद पशुपालक पोषण और स्वास्थ्य सुधार के उन्नत तरीके अपनाएंगे, जिससे दुग्ध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि निवेश और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इस संबंध में विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार पांडेय ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर प्रशिक्षण के लिए पशुपालकों के चयन और तैयारियों को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
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