पंजाब में किसानों के साथ सब्सिडी वाले खाद की खरीद के दौरान हो रही जबरदस्ती को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि उन्हें यूरिया और डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) जैसी सब्सिडी वाली खाद खरीदते समय अतिरिक्त उत्पाद भी खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया को किसान “टैगिंग” कह रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि समितियां और खाद डीलर उन्हें यूरिया या डीएपी के हर पाँच बोरे के साथ एक बोतल नैनो यूरिया या नैनो डीएपी (कीमत लगभग ₹220 प्रति बोतल) खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि ये बोतलें किसी उपयोग की नहीं हैं, और इन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की सिफारिश में भी शामिल नहीं किया गया है।
किसानों का यह भी कहना है कि यह प्रथा कई वर्षों से चल रही है और यदि वे इन बोतलों को खरीदने से इंकार कर दें, तो उन्हें सब्सिडी वाला खाद नहीं दिया जाता।
इस मामले पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लुधियाना दौरे के दौरान गंभीरता से संज्ञान लिया। उन्होंने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि किसानों को इस प्रकार की जबरदस्ती से बचाया जाए और ‘टैगिंग’ की प्रथा को तुरंत रोका जाए।
कृषि मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अब यह मामला केंद्रीय स्तर तक पहुंच गया है। किसान उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार सरकार ठोस कार्रवाई करेगी और उन्हें इस अनुचित प्रथा से राहत मिलेगी।
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