पामेती ने किसानों के लिए शुरू किया नो-प्रॉफिट पैकेजिंग सेंटर, कम लागत में मिलेगा आधुनिक पैकेजिंग और भंडारण सुविधा – Khalihan News
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पामेती ने किसानों के लिए शुरू किया नो-प्रॉफिट पैकेजिंग सेंटर, कम लागत में मिलेगा आधुनिक पैकेजिंग और भंडारण सुविधा

पामेती ने किसानों के लिए शुरू किया नो-प्रॉफिट पैकेजिंग सेंटर, कम लागत में मिलेगा आधुनिक पैकेजिंग और भंडारण सुविधा

लुधियाना में छोटे और सीमांत किसानों को बड़ा सहारा देते हुए पंजाब एग्रीकल्चरल मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (PAMETI) ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) परिसर में अत्याधुनिक पैकेजिंग केंद्र की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन), कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और बाजार तक सीधी पहुंच उपलब्ध कराना है।

यह नया पैकेजिंग केंद्र खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों तथा किसान समूहों की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। यहां आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं, जिनमें वैक्यूम पैकेजिंग यूनिट, नाइट्रोजन फ्लश सीलिंग मशीन, श्रिंक रैपिंग सिस्टम, बबल वॉशर, प्याज और लहसुन छीलने की मशीनें तथा प्याज पेस्ट, पाउडर और अर्ध-ठोस उत्पाद बनाने की छोटी प्रोसेसिंग यूनिट शामिल हैं।

इसके साथ ही किसानों की नाशवान उपज को कुछ दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इससे सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी और किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिल सकेगा।

पामेती के उप निदेशक (पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी) डॉ. रवनीत सिंह ने बताया कि यह केंद्र पंजाब में तकनीक आधारित कृषि और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसान अपनी उपज बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे उन्हें कम मुनाफा मिलता है। यह केंद्र किसानों को बाजार-तैयार पैकेजिंग की सुविधा देकर उन्हें सीधे बेहतर बाजार से जोड़ने में मदद करेगा।

डॉ. सिंह ने बताया कि यह पूरी तरह से नो-प्रॉफिट केंद्र है, जहां किसानों से केवल मशीनों के संचालन की लागत ही ली जाएगी। अधिकांश उत्पादों की पैकेजिंग लागत मात्र 2 से 3 रुपये प्रति पैक होगी। इससे छोटे किसानों के लिए आधुनिक तकनीक तक पहुंच आसान हो सकेगी।

पामेती अधिकारियों के अनुसार, यह केंद्र एक डेमोंस्ट्रेशन यूनिट के रूप में भी कार्य करेगा। किसान यहां तकनीक को समझकर अपने गांवों में किसान उत्पादक संगठन (FPO) के माध्यम से ऐसी इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। इन मशीनों की कुल लागत लगभग 17 लाख रुपये है, जिसे तीन गांवों के किसान मिलकर साझा रूप से स्थापित कर सकते हैं। किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार केवल चुनिंदा मशीनें भी लगा सकते हैं।

इस सुविधा के अंतर्गत किसानों को नाइट्रोजन सीलिंग, शेल्फ लाइफ बढ़ाने की तकनीक और कोल्ड चेन मैनेजमेंट का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे वे न केवल प्रोसेसिंग बल्कि अपने उत्पादों की प्रभावी मार्केटिंग भी कर सकें।

यह केंद्र बड़े किसानों के बजाय छोटे और सीमांत किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है, जिससे वे अपनी उपज को स्वयं प्रोसेस, पैकेज और बाजार में बेच सकेंगे।

 

 

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