अच्छी बारिश के कारण इस बार धान की पैदावार भले ही रिकॉर्ड स्तर पर हुई हो, लेकिन किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2369 रुपये प्रति क्विंटल तय है, मगर बाजार में बिचौलिए किसानों से 1600 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के औने-पौने दामों पर ही खरीद रहे हैं। सरकारी खरीद एक नवंबर से शुरू होनी है, लेकिन उससे पहले ही किसानों का हजारों क्विंटल धान बेचा जा चुका है।
मंडियां सूनी, बिचौलियों का बोलबाला
लखनऊ की मंडियों में धान की आवक बेहद कम है। वहीं आसपास के बाजारों — खासकर बख्शी का तालाब (बीकेटी) में हर दिन सैकड़ों क्विंटल धान बेचा जा रहा है। केवल बीकेटी क्षेत्र से ही पिछले एक महीने में करीब 3000 क्विंटल धान की बिक्री हो चुकी है। यह धान ट्रकों में भरकर आसपास के जिलों और राज्यों में भेजा जा रहा है। किसानों के हाथ में कम दाम मिल रहे हैं जबकि बिचौलिए मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
किसानों की मजबूरी और सरकारी प्रक्रिया की जटिलता
भौली गांव के किसान धीरेंद्र प्रताप सिंह और देवरी रुखारा के मकरंद सिंह यादव बताते हैं कि सरकारी खरीद में देरी और कठिन सत्यापन प्रक्रिया के कारण उन्हें मजबूरी में कम दामों पर धान बेचना पड़ रहा है।
कृषि विशेषज्ञ सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि “रबी फसलों की बुवाई के लिए किसानों को तुरंत नकदी की जरूरत होती है — खाद, बीज और कीटनाशक के लिए। सरकारी खरीद में देरी और जागरूकता की कमी से किसानों को बड़ा घाटा हो रहा है।”
मिलर्स की भी चिंता — धान की कमी से ठप हो सकती हैं मिलें
डालीगंज के राइस मिलर घनश्याम अग्रवाल और चिनहट के राजेंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी खरीद समय पर न होने से सालभर के लिए पर्याप्त धान उपलब्ध नहीं हो पाता।
“पहले लेवी सिस्टम से संतुलन बना रहता था, अब अगर सरकार नीति नहीं बदलती तो कम से कम खरीद जल्द शुरू हो और देर तक चले,” मिलर्स का कहना है।
उन्होंने बताया कि मिलें चलाने में हर महीने 4-5 लाख रुपये का खर्च होता है, ऐसे में अगर खरीद कम हुई तो मिलें बंद करनी पड़ेंगी।
प्रशासन की सफाई — 30 केंद्रों पर शुरू होगी खरीद
धान खरीद की नोडल अधिकारी और एडीएम (नागरिक आपूर्ति) ज्योति गौतम ने बताया कि इस बार जिले के राइस मिलर्स को प्राथमिकता दी जाएगी।
“एक नवंबर से 30 केंद्रों पर धान की खरीद शुरू होगी, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और बिचौलियों पर रोक लगाई जा सके,” उन्होंने कहा।
किसानों की उम्मीद — समर्थन मूल्य पर शीघ्र खरीद हो शुरू
किसानों का कहना है कि अगर सरकार खरीद जल्द शुरू करे और प्रक्रिया को सरल बनाए, तो बिचौलियों पर लगाम लगाई जा सकती है और उन्हें उचित दाम मिल सकता है।
वहीं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को जागरूक करने और खरीद प्रणाली को डिजिटल करने की जरूरत है, ताकि पारदर्शिता और भरोसा दोनों बढ़ें।
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