उत्तर प्रदेश में सरकारी व्यवस्थाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने दो अलग-अलग मामलों में कड़ा रुख अपनाया है। शाहजहांपुर जिले में धान खरीद के दौरान हुए बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद दो लेखपालों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि फर्जी सत्यापन कराने वाले बिचौलियों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं दूसरी ओर, थोक किराना व्यापारी के उत्पीड़न के मामले में शासन ने जीएसटी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित कर दिया है।
शाहजहांपुर के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रजनीश कुमार मिश्रा ने बताया कि तहसील पुवायां और तिलहर में धान खरीद के दौरान गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच में पाया गया कि जिन किसानों ने धान की फसल बोई ही नहीं थी, उनके नाम पर फसल का सत्यापन कर दिया गया। इसके बाद बिचौलियों ने बाजार से धान खरीदकर सरकारी क्रय केंद्रों पर आपूर्ति कर दी, जिससे उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
अधिकारी के अनुसार, तिलहर तहसील में जिस व्यक्ति के नाम धान की फसल का सत्यापन किया गया, उसके नाम पर जमीन ही दर्ज नहीं थी। वहीं पुवायां तहसील में जिस भूमि पर गन्ने की फसल बोई गई थी, वहां धान की फसल दिखाकर गलत सत्यापन किया गया। मामले की पुष्टि होने पर पुवायां के लेखपाल आशीष कुमार और तिलहर के लेखपाल अंशु बाजपेई को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही फर्जीवाड़े में शामिल बिचौलियों के खिलाफ संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
अपर जिलाधिकारी ने बताया कि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे धान क्रय केंद्रों का प्रतिदिन औचक निरीक्षण करें। साथ ही प्रत्येक केंद्र की उपस्थिति और गतिविधियों की रिपोर्ट शाम को व्हाट्सएप के माध्यम से अनिवार्य रूप से भेजी जाएगी।
इधर, एक अन्य मामले में शासन ने जीएसटी विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की है। अक्तूबर महीने में गोरखपुर के एक थोक किराना व्यापारी के उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लेते हुए वाराणसी में तैनात रहे सहायक आयुक्त प्रभारी सचल दल शरद चंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। दो दिसंबर को हुई इस कार्रवाई के बाद स्थानीय व्यापारी संगठनों ने संतोष जताया है।
साहबगंज क्षेत्र में स्थित अवनीश ट्रेडर्स की एक मालवाहक गाड़ी कर्नाटक से गोरखपुर आ रही थी। व्यापारी द्वारा ई-इनवॉइस, ई-वे बिल और बिल्टी जैसे सभी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने के बावजूद अधिकारी ने कथित तौर पर 1.65 लाख रुपये जुर्माने के रूप में वसूल लिए। मामला चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया द्वारा लखनऊ में उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, जहां यह स्पष्ट किया गया कि कागजात पूर्णतः सही थे और कार्रवाई का कोई आधार नहीं था। इसके बावजूद जुर्माना वसूला गया, जिसे प्रशासन ने गंभीर लापरवाही माना।
इन दोनों मामलों में हुई कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और मनमानी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और दोषियों को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा।



