भारतीय ट्रैक्टर बाजार ने नवंबर 2025 में जबरदस्त उछाल दर्ज किया है। इस अवधि में पूरे देश में 1,24,340 ट्रैक्टरों की खुदरा बिक्री हुई, जबकि नवंबर 2024 में यह आंकड़ा 79,557 था। इस प्रकार उद्योग ने 56.29% की अभूतपूर्व वार्षिक वृद्धि (YoY) हासिल की।
कृषि अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार, बेहतर रबी फसल की संभावनाएँ तथा ग्रामीण खरीद क्षमता बढ़ने से इस वृद्धि को मजबूती मिली।
महिंद्रा शीर्ष पर, स्वराज दूसरे स्थान पर — सोनालिका का बाजार हिस्सा घटा
नवंबर 2025 में सभी प्रमुख ब्रांडों ने अच्छी बिक्री दर्ज की, लेकिन बाजार हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए।
•महिंद्रा ने 31,925 यूनिट्स बेचकर अपनी लीड बरकरार रखी और हिस्सेदारी में 1.14% की बढ़त पाई।
•स्वराज ने 23,220 यूनिट्स बेचे और 0.20% हिस्सेदारी बढ़ाई।
•सोनालिका की बिक्री बढ़कर 15,741 यूनिट्स हुई, लेकिन प्रतिस्पर्धा बढ़ने के चलते बाजार हिस्सेदारी 0.99% घट गई।
•एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने 15,202 यूनिट्स की बिक्री के साथ 0.94% मार्केट शेयर वृद्धि दर्ज की।
•मैसी फर्ग्यूसन ने 13,557 ट्रैक्टर बेचे लेकिन बाजार हिस्सेदारी 0.89% कम हो गई।
नवंबर 2025 की कुल बिक्री का 80.14% हिस्सा सिर्फ टॉप 5 ब्रांड्स के हिस्से में गया।
YTD (अप्रैल–नवंबर 2025): महिंद्रा सबसे आगे, लेकिन हिस्सेदारी में उतार-चढ़ाव
अप्रैल से नवंबर 2025 तक कुल 6,37,608 ट्रैक्टर बिके, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17.29% की वृद्धि दर्शाता है।
टॉप-5 ब्रांड्स का YTD प्रदर्शन
•महिंद्रा: 1,53,253 यूनिट्स — मार्केट शेयर +0.38%
•स्वराज: 1,19,858 यूनिट्स — मार्केट शेयर -0.12%
•सोनालिका: 82,883 यूनिट्स — मार्केट शेयर -0.33%
•मैसी फर्ग्यूसन: 75,972 यूनिट्स — मार्केट शेयर +0.29%
•एस्कॉर्ट्स कुबोटा: 75,211 यूनिट्स — मार्केट शेयर -0.31%
इन पाँचों कंपनियों ने मिलकर 507,177 यूनिट्स, यानी कुल YTD बिक्री का 79.54% योगदान दिया।
राज्यों में महाराष्ट्र सबसे आगे, यूपी और राजस्थान की मांग भी मजबूत
भारतीय कृषि राज्यों की ट्रैक्टर मांग ने YTD बिक्री को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
•महाराष्ट्र: 94,413 यूनिट्स (14.81%)
•उत्तर प्रदेश: 83,783 यूनिट्स (13.14%)
•राजस्थान: 80,017 यूनिट्स (12.55%)
•मध्य प्रदेश: 72,202 यूनिट्स (11.32%)
•गुजरात: 59,538 यूनिट्स (9.34%)
इन पाँच राज्यों ने कुल बिक्री का 61.16% योगदान दिया।
उद्योग की मजबूती के प्रमुख कारण
•अनुकूल रबी सीजन और बुवाई में वृद्धि
•ग्रामीण आय और नकदी प्रवाह में सुधार
•MSP व सब्सिडी योजनाओं का सहारा
•कृषि मशीनीकरण की तेज़ गति
•मजबूत मांग और ब्रांडों के नए मॉडल



