भारत-कनाडा के बीच दलहन व्यापार पर नई पहल – भारत दे सकता है दीर्घकालिक खरीद की गारंटी – Khalihan News
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भारत-कनाडा के बीच दलहन व्यापार पर नई पहल – भारत दे सकता है दीर्घकालिक खरीद की गारंटी

भारत-कनाडा के बीच दलहन व्यापार पर नई पहल – भारत दे सकता है दीर्घकालिक खरीद की गारंटी

भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार के संकेत मिलते हुए अब दोनों देशों के बीच दलहन व्यापार को लेकर नई संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त दिनेश पटनायक ने संकेत दिया है कि भारत भविष्य में कनाडा से दलहनों की दीर्घकालिक खरीद का आश्वासन देने पर विचार कर सकता है, जिससे कनाडाई किसान दलहन उत्पादन जारी रखें और आपूर्ति स्थिर बनी रहे।
यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की सरकार और भारत के बीच व्यापार वार्ता पुनः शुरू हुई है। दोनों देशों ने व्यापक व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत बहाल करने पर सहमति जताई है।
कनाडा भारत के लिए बड़ा स्रोत — लेकिन आयात शुल्क बना चुनौती
कनाडा भारत के लिए मसूर एवं मटर जैसे दलहनों का प्रमुख वैश्विक सप्लायर है। मसूर के मामले में वह ऑस्ट्रेलिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा में रहता है, जबकि मटर निर्यात में रूस उसका प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है।
भारत ने हाल ही में पीली मटर (Yellow Peas) पर 30% आयात शुल्क लगाया है, जो 1 नवंबर से प्रभावी है। यह निर्णय घरेलू किसानों के दबाव में आया, जिससे कनाडाई निर्यातकों के लिए भारतीय बाजार की लाभप्रदता कम हुई है।
कनाडाई किसानों में चिंता — 2026 में मटर उत्पादन छोड़ने की चेतावनी
सस्केचेवान में आयोजित एग्रीबिशन फार्म शो में कई किसानों ने चिंता जताई कि यदि भारत और चीन दोनों के बाजार बाधित रहे तो वे 2026 से मटर की खेती बंद करने पर मजबूर हो सकते हैं।
•चीन ने कनाडाई मटर पर 100% शुल्क लगाया हुआ है
•भारत में अब 30% शुल्क लागू
•अमेरिका, भारत और चीन कनाडा के प्रमुख आयातक
किसानों के अनुसार, इन परिस्थितियों में मटर की खेती आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं रही और वे अन्य फसलों की ओर शिफ्ट हो सकते हैं।
भारत का लक्ष्य—दलहन में आत्मनिर्भरता, पर पूरी तरह संभव नहीं?
पटनायक ने कहा कि भारत भविष्य में घरेलू उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद विदेशी आपूर्ति पर निर्भर रहेगा।
उनके शब्दों में—
“हम नहीं चाहते कि कनाडा पूरी तरह दलहन उत्पादन से हट जाए। लंबे समय के लिए भारत को विदेशी स्रोत आवश्यक रहेंगे।”
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य लिए आगे बढ़ रहा है, लेकिन तेजी से बढ़ती मांग के कारण यह उपलब्धि चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत और कनाडा के बीच दलहन व्यापार संबंध एक अहम मोड़ पर हैं। यदि दोनों देश टैरिफ, कोटा और दीर्घकालिक खरीद समझौते पर समाधान निकाल लेते हैं, तो किसान, निर्यातक और उपभोक्ता—सभी को इसका लाभ मिल सकता है।

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