पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने इस साल कड़ा कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि जो किसान पराली नहीं जलाएंगे उन्हें अब ₹1200 प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वहीं, पराली जलाने वालों पर ₹5000 प्रति एकड़ का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसे बार-बार उल्लंघन करने पर ₹30,000 तक बढ़ाया जा सकता है।
सरकार के अनुसार, धान की कटाई के बाद राज्य में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने न केवल किसानों को जागरूक करने की पहल शुरू की है बल्कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
नए प्रावधानों के तहत, पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, साथ ही उनके नाम को “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर दो वर्षों तक रेड मार्क किया जाएगा। इसका अर्थ है कि ऐसे किसान MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे।
सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी रखने के लिए सेटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू किया है। इसके साथ ही कृषि विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक कर रही हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान कर रही हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों को पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा मामला बताते हुए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने को कहा है।
सरकार को उम्मीद है कि इन नई नीतियों और कड़े प्रावधानों से इस बार पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी और दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे सर्दियों के मौसम में लोगों को सांस संबंधी दिक्कतों से राहत मिलने की संभावना है।
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