सालभर बढ़ते प्रदूषण पर काबू: अब रबी सीजन की पराली भी सीधा निगरानी दायरे में, CAQM ने पंजाब-हरियाणा को भेजा नया आदेश – Khalihan News
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सालभर बढ़ते प्रदूषण पर काबू: अब रबी सीजन की पराली भी सीधा निगरानी दायरे में, CAQM ने पंजाब-हरियाणा को भेजा नया आदेश

सालभर बढ़ते प्रदूषण पर काबू: अब रबी सीजन की पराली भी सीधा निगरानी दायरे में, CAQM ने पंजाब-हरियाणा को भेजा नया आदेश

दिल्ली–एनसीआर और उत्तर भारत में सालभर उच्च प्रदूषण स्तर की चुनौती को देखते हुए केंद्र सरकार के शीर्ष प्रदूषण नियंत्रण निकाय कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने अब रबी सीजन की पराली जलाने पर भी सख्ती शुरू कर दी है।
अब तक निगरानी केवल अक्टूबर–नवंबर में धान की पराली जलाने के दौरान केंद्रित रहती थी, लेकिन पहली बार अप्रैल–मई में गेहूं की कटाई के बाद होने वाली आग की घटनाओं को भी प्रत्यक्ष निरीक्षण के दायरे में शामिल किया गया है।
CAQM ने पंजाब और हरियाणा को भेजा निर्देश
1 दिसंबर को भेजे गए पत्र में CAQM ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे—
•रबी सीजन में खेतों में होने वाली आग को रोकने के लिए ग्राउंड-लेवल मॉनिटरिंग बढ़ाएँ,
•और गेंहू की फसल के 2026 के गर्मी से पहले के चक्र हेतु पराली प्रबंधन कार्ययोजना (Action Plan) प्रस्तुत करें।
यह पहली बार है जब रबी सीजन की पराली के लिए औपचारिक और कठोर निगरानी की मांग की गई है।
उपग्रह आंकड़े चौंकाने वाले
1 अप्रैल — 31 मई 2025 के बीच उपग्रह डेटा के अनुसार राज्यों में गेहूं कटाई अवधि के दौरान आग की घटनाएँ इस प्रकार दर्ज की गईं:
•पंजाब — 10,207
•हरियाणा — 1,832
•उत्तर प्रदेश — 14,398
•मध्य प्रदेश — 34,429
•दिल्ली — 49
UP, MP और दिल्ली में ये आंकड़े 2022 के बाद सबसे ज्यादा रहे हैं।
ये संख्याएँ उन रिकॉर्ड कम घटनाओं के बिल्कुल उलट हैं जिन्हें पंजाब और हरियाणा ने इस वर्ष अक्टूबर–नवंबर में धान की पराली के दौरान हासिल किया था।
गैप्स अभी भी मौजूद
CAQM ने अपने पत्र में कहा है कि पेड्डी सीजन (सितंबर–नवंबर 2025) में पराली जलाने को रोकने के प्रयासों के बावजूद,
•कुछ डिटेक्टेड (detectable) और
•कई अनडिटेक्टेड (undetected)
आग की घटनाएँ दर्ज हुईं, जो कार्यान्वयन में कमज़ोरियों को दर्शाती हैं।
21 नवंबर को CAQM ने दोनों राज्यों से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी—
•उपग्रहों से छूटे आग स्थानों की सूची,
•ऐसे मामलों को ट्रैक करने की विधियाँ,
•और रोकथाम व दंडात्मक कार्रवाई का रिकॉर्ड।
क्यों है यह कदम महत्वपूर्ण?
2020 से IARI (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) सितंबर 15 से नवंबर 30 के बीच खेतों में आग की निगरानी करता रहा है। इसी दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता अक्सर ‘Severe’ (AQI 400+) तक पहुँच जाती है।
लेकिन अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि सालभर का प्रदूषण स्तर उच्च बना रहता है, और रबी सीजन में भी आग की घटनाएँ बड़ी संख्या में दर्ज होती हैं, तो CAQM ने रबी सीजन को भी गंभीरता से निगरानी दायरे में जोड़ दिया है।
यह कदम उत्तर भारत के वार्षिक प्रदूषण चक्र को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीति बदलाव माना जा रहा है।

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