सूबे की सरकार देसी गाय पालने में दिलचस्पी रखने वालों कोशिश पचास से 75 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है। बिहार में प्रतिशत बढ़ गई। बिहार में गाय की संखया 2012 में 1.22 करोड़ थी। देश में दूध उत्पादन में बिहार 9वें स्थान पर है इन
ग्रामीणों व किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करने में सरकार करने के उद्देश्य से इस योजना को सब्सिडी की मदद से बढ़ावा देकर सूबे में दुग्ध उत्पादन भी बढ़ाने की मंशा रखती है। बिहार में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता 400 ग्राम है।
सूबे में पहली बार लागू हो रही देशी गायपालन के लिए किसान आगामी पहली सितंबर तक आवेदन किए जा सकते हैं।
भारत की देशी गाय की नस्लों में साहीवाल, गीर, थारपारकर जैसी नस्ल की 2, 4, 15 और 20 गाय की यूनिट पर गाय पालन के लिए अनुदान मिलेगा। 2 और 4 गाय की यूनिट पर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत, जबकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को लागत मूल्य का 75 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
किसानों को 15 और 20 गाय की यूनिट पर सभी वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत तक ही अनुदान मिलेगा। देशी गाय पालन की योजना के लिए 37 करोड़ 5 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड जैसी एजेंसी के माध्यम से किसानों को देशी नस्ल की गाय उपलब्ध कराने की तैयारी है। किसान चाहें तो खुद गाय खरीद सकते हैं या फिर विभाग एजेंसी से उपलब्ध कराएगा।
किसान खुद राशि लगा कर या बैंक से लोन लेकर गायपालन कर सकते हैं। 5500 से अधिक गाय पशुपालकों को देने का लक्ष्य होगा। इस योजना के लिए लगभग 40 करोड़ की राशि का प्रावधान है। देशी नस्ल पालन की योजना इसलिए यहां की जलवायु के अनुकूल इसे पालने में आसान है। इस नस्ल की गायें कम बीमार होती हैं। इससे ए2 मिल्क मिलता है, जिसकी प्रतिलीटर कीमत 80 से 120 रुपए तक है। इसमें फैट की 5 से 8 प्रतिशत तक होता है, जबकि जर्सी और फ्रीजियन गाय के दूध में फैट 3 से 4 प्रतिशत ही होता है। प्राकृतिक खेती में लाभकारी होगा।
बिहार में इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को अपने जिला के जिला गव्य विकास पदाधिकारी को आवेदन देना होगा। आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। जिला अग्रणी बैंक पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय समिति द्वारा आवेदक का चयन किया जाएगा। समिति में जिला गव्य विकास पदाधिकारी सदस्य सचिव होंगे। जिला पशुपालन पदाधिकारी, उद्योग विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी और जिला पारिषद के प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
बिहार-सरकार की सूचना के अनुसार दो गायों के पालन के लिए किसी तरह के जमीन की कागजात की जरूरत नहीं होगी। 4 गाय पालन के लिए 5 कट्ठा जमीन के कागजात होने चाहिए। इसी प्रकार 15 और 20 गाय पालन के लिए 10 कट्ठा जमीन के कागजात चाहिए।
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