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मौसम की बेरुख़ी से आम ज़मीन पर और दाम आसमान पर होने की उम्मीद

आम उत्पादक किसान इस बार आम के महंगा होने का अनुमान जता रहे हैं | उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, अमरोहा, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर और वाराणसी के क्षेत्र में आम की फसल को बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान पहुंचा है | इस नुकसान के चलते आम की फसल अब सीमित रह गई है | वहीं आम उत्पादक इस बार आम की फसल के महंगे होने का अनुमान जता रहे हैं | बार- बार मौसम बदलने का असर आम पर ज्यादा पड़ रहा है |

उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करता है | वहीं आम उत्पादन में विश्व में भारत की हिस्सेदारी 42 फीसदी है | 2021-22 में 210 लाख टन आम का उत्पादन हुआ | वर्ष 2023 देश में आम का उत्पादन और भी ज्यादा होने का अनुमान जताया गया था, लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के चलते बागवानी को काफी नुकसान पहुंचा है |

लखनऊ के मलिहाबाद और काकोरी फल पट्टी में ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश के चलते आम की फसल को अब तक 60 फीसदी तक नुकसान हो चुका है, जबकि मेरठ के क्षेत्र में चौसा आम का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है | यहां भी आंधी और बारिश के चलते 50 फीसदी तक फसल को नुकसान हो चुका है | वहीं अभी आम की फसल को तैयार होने में एक महीने का समय बाकी है | ऐसे में आम उत्पादक किसान काफी परेशान है | इस बार कीटों से फसल को बचाने के लिए कई बार छिड़काव करना पड़ा | वहीं अब तक आधे से ज्यादा आम के फल गिर चुके हैं | लगता नहीं है कि इस बार फायदा होगा |

आम के चाहने वालों को अपना पसंदीदा दशहरी , लंगड़ा और चौसा का इंतजार है | इन आम की फसल को तैयार होने में अभी और भी वक्त लग सकता है | बेमौसम बारिश तेज हवाएं और ओले गिरने से आम की फसल को लगातार नुकसान पहुंचा है | इस साल आम उत्पादक किसानों ने अच्छे उत्पादन की उम्मीद जताई थी क्योंकि आम की फसल में फूल काफी अच्छे आए थे लेकिन मार्च-अप्रैल महीने से ही मौसम की बेरुखी के चलते आम को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है |

दूसरी अोर आम को फलों का राजा कहा जाता है. लेकिन अभी बंगाल का मशहूर आम यानी मालदा आम फकीर बना हुआ है | आम के सीजन की अभी शुरुआत ही हुई है और सीजन के शुरुआत में ही मालदा आम की बागवानी करने वालों को जोरदार झटका लगा है | पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के बागों में इस आम की कीमत मात्र 3 रुपये प्रति किलो बिक रहा है | घटती हुई कीमत के चलते आम के व्यापारी अब बागों से इस आम को खरीदने से कतरा रहे हैं |

दरअसल अब जिले के कई बगीचों में कमोबेश ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है | जहां व्यापारियों की आम खरीदने की ललक फीकी पड़ गई है. लेकिन यह आम अभी पका नहीं है | अभी मालदा के आम पकने का समय नहीं है | लेकिन, मालदा के कच्चे आमों का उपयोग मुख्य रूप से अचार बनाने के लिए किया जाता है |

उद्यानिकी विभाग के सूत्रों के अनुसार मालदा में आगामी मई के मध्य से आम पक जाएगा. लेकिन अब जितने भी आम बिक रहे हैं, वे मुख्य रूप से अचार के लिए हैं | हालांकि, इस आम की भारी मांग होती है | लेकिन, मालदा जिले में इस समय पड़ रही भीषण गर्मी से आम के क्वालिटी पर असर पड़ा है |

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