हरियाणा से मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खरीदार राज्यों की सरकारे हैं | जिसमे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस खरीदती है. रोहतक (हरियाणा) से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाती हैं | वर्ष 2009 तक स्पेशल ट्रेन से भैंसे दूसरे राज्यों को भेजी जाती थीं, लेकिन अब ट्रक से भेजी जाती हैं | सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस जींद,पानीपत, रोहतक, हिसार, भिवानी, महेन्द्र गढ़, नारनौल और झज्जर में पाई जाती हैं |
राज्य सरकारें जो मुर्रा भैंस की खरीद करती हैं उनकी कीमत औसत 80 हजार से एक लाख रुपये तक आती है | जबकि मुर्रा भैंस के जो खरीदार सीधे आते हैं उन्हें एक मुर्रा भैंस एक लाख से लेकर सवा लाख रुपये तक की पड़ती है | हरियाणा से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस खरीदने वालों में यूपी, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्या प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार के लोग होते हैं | मुर्राह भैंस के सौदे करने ज्यादातर कारोबारी सीधे हरियाणा आते हैं | पशु मेलों में यह कारोबारी पहले मुर्रा के बारे में जानकारी जुटा लेते हैं कि कहां, कैसी और कितने की मिल रही है |
पशुपालक अपने पशु को तीन तरह का चारा अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग तरीके से खिलाते हैं | जैसे सूखा चारा अलग देंगे, दाना अलग से खिलाएंगे | वहीं हरा चारा खासतौर पर शाम के वक्त अलग से खाने के लिए देंगे |लेकिन हम लोग ऐसा नहीं करते हैं | गाय-भैंस ज्यादा दूध देने वाले हों या फिर कम दूध, खाने का तरीका एक ही रहता है | यह बात अलग है कि दूध की मात्रा के मुताबिक चारे की मात्रा कम-ज्यादा होती रहती है |
अगर हम 28 लीटर दूध देनी वाली मुर्रा भैंस की बात करें तो हम सभी तरह का दाना और चारा मिक्स करके सानी की शक्ल में इसे खिलाते हैं | जैसे अगर हम मक्का या चुकंदर का सूखा (साइलेज) चारा दे रहे हैं या फिर कोई दानेदार फीड और हरा चारा, सभी को एक साथ मिलाकर उसकी सानी बना लेते हैं | फिर उस सानी को इन्हें खाने के लिए दे दिया जाता है |
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया है कि देश में दूध-मीट और अंडे का उत्पादन बढ़ गया है | साल 2021-22 में दूध उत्पादन 221 मिलियन टन पर पहुंच गया है | वहीं अंडे का उत्पादन 129.60 बिलियन पर आ गया है | जबकि मीट प्रोडक्शन 9.29 मिलियन टन पर आ गया है | साल 2020-21 के मुकाबले मीट प्रोडक्शन में 5.62 फीसद की बढ़ोतरी हुई है |