रबी फसल की बुवाई का समय बीत रहा है और प्रदेश में किसान अभी भी डीएपी की किल्लत से जूझ रहा है। विभिन्न जिलों में डीएपी के लिए किसानों को लंबी कतार में देखे जाना आम नजारा है। हालांकि सरकारी आंकड़े दुरुस्त है और बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश को पर्याप्त उर्वरक की सप्लाई हो रही है। डीएपी भी प्रदेश को मांग के अनुसार ही मिला है लेकिन मांग के अचानक जोर पकड़ने से आपूर्ति का संतुलन गड़बड़ाया हुआ है
कृषि निदेशालय के आंकड़ों की मानें तो नवंबर के लिए डीएपी का कोटा 10.50 लाख टन निर्धारित किया गया था और इस तय लक्ष्य के सापेक्ष सप्लाई की जा चुकी है। किसानों को 8.84 लाख टन डीएपी अनुदान पर उपलब्ध भी कराई जा चुकी है, वहीं 1.66 लाख टन अभी स्टाक में भी शेष बचा है। यूरिया की उपलब्धता तो हमेशा की तरह ज्यादा ही है, इसकी उपलब्धता के सापेक्ष मांग का स्तर काफी कम है।
अयोध्या। रबी के सीजन में जिले में खाद का संकट चरम पर है। तमाम आपदाओं को झेल कर बेहाल किसान अब खाद संकट से जूझ रहा है। बताया जाता है कुल 93 सहकारी समितियों में से 40 प्रतिशत से अधिक समितियों पर खाद नहीं है। हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि खाद का कहीं भी संकट नहीं है।
इटावा में इस बार रबी सीजन में जिले के लिए कुल 18700 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी। अभी तक करीब 14000 मीट्रिक टन डीएपी मिल मिल चुकी है। 4700 मीट्रिक टन की अभी भी जरूरत है। सबसे ज्यादा खाद की जरूरत गेहूं के लिए है। कई किसानों की बुआई भी इसी कारण रुकी हुई है।
साधन सहकारी समिति मरवटिया संतकबीरनगर और गोरखपुर जिले के बार्डर पर है। दोनों जनपदों के किसान वहां खाद आने की जानकारी मिलने पर जुट गए। भीड़ की वजह से पुलिस को बुलाना पड़ा, फिर खाद बांटने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन खाद कम पड़ गई। तमाम किसानों को डीएपी नहीं मिल पाई।
सिद्धार्थनगर | जिले में डीएपी की इस प्रकार किल्लत है कि भागदौड़ के बाद भी किसान को एक बोरी खाद बड़ी मुश्किल से निर्धारित रेट पर नसीब हो पा रही है। डीएपी पाने की लालसा में समितियों पर सुबह-शाम किसान पहुंच रहे हैं, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा। इससे किसान परेशान होकर निजी दुकानों से डीएपी को महंगे दामों पर खरीद कर गेहूं की बुआई कर रहे हैं।
सीतापुर | कांग्रेस जिलाध्यक्ष उत्कर्ष अवस्थी के नेतृत्व में दर्जनों कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने आज डीएम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम ने कांग्रेसियों ने राज्यपाल से मांग की है कि किसानों को रबी की फसल के लिए खाद और डीएपी के लिए घण्टों लाइन में लगना पड़ रहा है और साथ ही उन्हें समय पर खाद और डीएपी मिलने में काफी दिक्कत हो रही है। राज्यपाल से मांग की है कि प्रदेश सरकार अपने किसानों की मांगों की तरफ ध्यान नही दे रही है और किसान फसल बोने के लिए बिचौलियों के सामने महंगे दामों पर खाद को खरीद रहा है।
मुरादाबाद | रबी की फसल में आलू, गेहूं, लाई और गन्ने में डीएपी और एनपीके खाद की आवश्यकता रहती है। ऐसे में इन दिनों डीएपी और एनपीके खाद की मांग बढ़ गयी है। किसी प्राइवेट दुकान पर डीएपी और एनपीके में से कोई खाद किसानों को नहीं मिल पा रही है। जिले की 58 साधन सहकारी समितियों और चार सहकारी संघों के केंद्र पर ही डीएपी और एनपीके खाद है। खाद की हो रही कालाबाजारी
किसानों को खाद लेने के लिए तमाम परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
जिले के बिलारी और कुंदरकी क्षेत्र में सबसे अधिक गेहूं की खेती होती है। इसलिए यहां खाद की सबसे अधिक मांग है। किसानों को एनपीके खाद की बोरी 1470 रुपये में मिलती है। डीएपी खाद की बोरी 1350 रुपये में बेची जाती है।