बिहार सरकार ने राज्य में बेकार और बंजर पड़ी जमीन पर सहजन की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है| सहजन की खेती के लिए 74,000 रुपये प्रति हेक्टेयर लागत आती है, जिसके लिए सरकार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी. सब्सिडी की ये रकम दो किस्तों में 37,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को दी जायेगी|
पहले साल में किसान को 27,750 रुपये को दूसरे साल में 9,250 रुपये का अनुदान मिलेगा| ये अनुदान की रकम तभी किसान को मिलेगी, जब अच्छी देखभाल-प्रबंधन के जरिये किसान 90 प्रतिशत पौधों को जीवित रखेंगे|
सहजन की खेती के लिए सब्सिडी स्कीम का सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसानों को खेती करने के बाद बाजार तलाशने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि उपज की मार्केटिंग में खुद उद्यान विभाग मदद करेगा| सहजन की खेती के लिए पौधे भी चंड़ी के नये ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल’ की हाइटेक नर्सरी से उपलब्ध करवाये जायेंगे, जिससे कि 100 फीसदी पौधे जीवित रह सकें और किसानों को सब्सिडी का लाभ मिल सके|
बता दें कि सहजन के पौधों की रोपाई के 1 साल बाद ही फल लग जाते हैं और एक ही पौधे से करीब 25 से 30 किलोग्राम फलों का उत्पादन ले सकते हैं| एक अनुमान के मुताबिक, सहजन की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 1600 पौधों की रोपाई की जाती है|
पिछले माह ही राज्य के करीब 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया था| इन जिलों में पानी की कमी के कारण खेती करना और भी मुश्किल हो रहा है| ऐसे में राज्य सरकार की सब्सिडी योजना का लाभ लेकर कम संसाधनों में सहजन की खेती करके आमदनी ले सकते हैं|
इस योजना के तहत सहजन की खेती करने के लिए किसानों के क्लस्टर बनाये जायेंगे और पायटल प्रोजेक्ट के तौर पर सहजन की खेती होगी| इसके लिए सरकार ने 12 जिलों का चयन किया है, जिसमें नालंदा के बेन और रहुई प्रखंड भी शामिल है| यहां के करीब 23 किसानों ने सहजन की खेती में दिलचस्पी दिखाई है, जिसके बाद अब किसानो को पौधे भी मुहैया करवाये जायेंगे|