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आलू की कैसे कम करें लागत और कमाई ज्यादा मुनाफा

आलू ही नहीं किसी भी खेती की शुरूआत करते समय ये देखना चाहिए की खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य कैसा है। इसलिए ये देखना होगा कि खेत में ऑर्गेनिक कॉर्बन यानी की जीवांश की मात्रा कितनी है। खेत की मिट्टी में जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद या मुर्गी की खाद डालेंगे तो आपके खेत का आलू हरा नहीं होगा। मीठा नहीं होगा, उत्पादन अच्छा होगा और कीट और बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी ज्यादा रहेगी। इसलिए मिट्टी में जितना हो सके जैव उर्वरकों का प्रयोग करें।

अपने क्षेत्र के हिसाब से करें रोग मुक्त बीजों का चयन करें आलू के खेत में बीजों का चयन सबसे जरूरी होता है।
खेत की तैयारी के बाद सबसे जरूरी काम होता है, अच्छी गुणवत्ता के रोगमुक्त बीज का चयन करना। आलू में सबसे बड़ी समस्या अगेती और पछेती झुलसा रोग की होती है। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। तो इसके लिए हमें पहले से तैयारी करनी होगी। इसके लिए कई सारी अवरोधी किस्में भी हैं।

आप पहली बार आलू की खेती करने जा रहे हैं तो बुवाई के लिए अवरोधी किस्मों का ही चयन करें। ताकि इन प्रजातियों में बीमारी से लड़ने की क्षमता हो। इसलिए आप सामान्य आलू की किस्मों से ही खेती की शुरूआत करिए।

बुवाई के लिए 25-25 मिमी से 45 मिमी का बीज होना चाहिए। कोशिश करें कि बीज काटकर न बोना पड़े, लेकिन अगर बीज 45 से 50 तक होता है तो बीज काटना ही पड़ता है। अगर हम सीड के लिए बुवाई कर रहे हैं तो बिल्कुल न काटें, भले ही उनकी दूरी बढ़ा दें। खेत एक दम साफ सुथरा होना चाहिए, मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए। अगर हम मशीन से बोते हैं तो दस-बारह कुंतल प्रति एकड़ बीज लगता है।

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