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सेम फली गमले में कैसे उगाये

आप सेम फली को उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सर्वप्रथम उपयुक्त रोपण स्थल का चयन करना होगा। यदि आप गमले में सेम फली ग्रो करना चाहते हैं, तो गमले को उस स्थान पर रखें, जहाँ पौधे को सही तरीके से पर्याप्त धूप मिल सके। इसके अलावा मिट्टी हल्की और हवा युक्त होनी चाहिए तथा एलियम (Allium) परिवार के पौधों के पास सेम फली नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि एलियम परिवार की सब्जियां वास्तव में सेम के पौधों की जड़ वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।

हालाँकि सेम फली या लिमा बीन्स को साल भर किसी भी मौसम में बोया जा सकता है लेकिन सेम फली एक गर्म मौसम की फसल है, जिसे ठण्ड का मौसम गुजरने के बाद वसंत ऋतु (मार्च और अप्रैल) में लगाया जाना बेहतर होता है। इसके अलावा सेम फली को जुलाई-अगस्त के महीने में भी अच्छी तरह से ग्रो किया जा सकता है।

सेम फली के बीजों को अंकुरि झकरने के लिए पॉटिंग मिश्रण या मिट्टी कम से कम 65 डिग्री फ़ारेनहाइट या 18 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म होनी चाहिए। इसका मतलब है कि आपको ठण्ड के आख़री सप्ताह को, जब तापमान में वृद्धि होती है, सेम के बीज बोने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

अच्छी किस्म की पैदावार के लिए मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी वाली और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होनी चाहिए। अधिक गीली और भारी मिट्टी सेम फली की वृद्धि से सम्बंधित अनेक प्रकार की समस्याएँ पैदा कर सकती है। हालाँकि सेम फली थोड़ी अम्लीय या उदासीन मिट्टी में भी आसानी से ग्रो हो सकती है। सेम फली को ग्रो करने के लिए आप निम्न प्रकार से मिट्टी तैयार कर सकते हैं|
मिट्टी – 50%
गोबर खाद – 30%
रेत, कोकोपीट और वर्मीकम्पोस्ट – 20%
इसके अलावा मिट्टी की उर्वराशक्ति या उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने के लिए आप निम्न तरह के जैविक उर्वरक की आवश्यक मात्रा को मिट्टी में मिला सकते हैं|

आपको गमले में लगाई गई सेम फली से सबसे अधिक उपज प्राप्त करने के लिए पर्याप्त धूप वाले स्थान की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है कि सेम फली के पौधे को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे की सीधी धूप मिलनी आवश्यक है। इसके अतिरिक्त पूर्ण सूर्य (sun) प्रकाश में ग्रो करने पर सेम फली के पौधों को रोगों से बचाने में भी मदद मिलती है|

यदि आप घर पर गमले में सेम के पौधे को ग्रो कर रहें हैं तो मिट्टी को समान रूप से नम बनाए रखें। आप पानी देने से पहले मिट्टी की नमी की जाँच भी कर सकते हैं। सेम के पौधे को प्रति सप्ताह कम से कम 1 इंच पानी अवश्य मिले। गर्म, शुष्क मौसम में सेम के पौधे की जड़ों को ठंडा रखने और मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मिट्टी को गीली घास ढकें। पौधों में फूल और फल आने के दौरान प्रति दिन पानी देना आवश्यक है, क्योंकि पानी की कमी होने पर फूल गिरने लगते हैं।

सेम फली कई महीनों तक 70 और 80 डिग्री फ़ारेनहाइट (21-26 डिग्री सेल्सियस) तापमान वाले मौसम के बीच अच्छी तरह से ग्रो होते हैं। हालांकि, सेम फली के पौधे लंबे समय तक ठंडे तापमान की तुलना में गर्म तापमान में बेहतर ढंग से पैदा कर सकते हैं।

अधिकांश फलियों (बीन्स) को आमतौर पर ग्रो करने के लिए अलग से उर्वरक और खाद देने की आवश्यकता नहीं होती है। हालाँकि सेम फली के पौधे को 1 महीने के दौरान गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद की साइड ड्रेसिंग कर सकते हैं। पौधे की विकास की स्थिति में मिट्टी को धीमी गति से रिलीज होने वाले पोषक तत्वों वाला खाद देना फायदेमंद होता है।

जब सेम की फलियाँ पूर्ण आकार में पहुँच जाती हैं तब इनको सब्जी के रूप में तोड़ा जा सकता है। बुश सेम फली (लिमा बीन्स) की बुवाई के 60 से 80 दिन के बाद आपको सेम फलियाँ तोड़ने को मिल सकती हैं|

सेम फली के पौधे को निम्न प्रकार के कीट प्रभावित कर सकते हैं जैसे:
एफिड्स
बीन बीटल
फ्ली बीटल
लीफ हॉपर
माइट
सेम फली के पौधे पर एफिड, लीफ हॉपर्स और माइट के प्रकोप को पानी की बौछार कर दूर किया जा सकता है या फिर आप नीम तेल और साबुन के घोल का छिडकाव कर कीट के प्रकोप को नियंत्रित कर सकते हैं।

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