बीते 112 दिन से जारी युद्ध ने यूक्रेन की कृषि उपज पर गंभीर असर डाला है। रूसी हमलों से बचते-बचाते की गई खेती से इस बार 4.85 करोड़ टन खाद्यान्न पैदा होने का अनुमान है। इसमें गेहूं की मात्रा दो करोड़ टन है। जबकि पिछले वर्ष शांति काल में देश में खाद्यान्न उपज 8.6 करोड़ टन हुई थी।
यूक्रेन के कृषि उप मंत्री टारस वीसोत्स्की ने बताया है कि चालू वर्ष की पैदावार में से तीन करोड़ टन खाद्यान्न निर्यात किया जा सकेगा। यूक्रेन खाद्यान्न और तिलहन का बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन रूसी हमले ने इसकी कृषि पैदावार और निर्यात, दोनों को प्रभावित किया है।
रूसी नौसेना ने यूक्रेन के बंदरगाहों की घेराबंदी और काला सागर की नाकेबंदी कर रखी है, इसलिए वहां पर मालवाही जहाजों का आवागमन बंद है। कृषि उत्पादों की पैदावार यूक्रेन के लिए राजस्व प्राप्ति का बड़ा जरिया है। इसलिए सरकार अब सड़क, नदी और रेल के जरिये खाद्यान्न निर्यात के लिए तैयारी कर रही है।
भारत से अनाज निर्यात में बढ़ोतरी के कई कारण है, लेकिन उससे रूस-युक्रेन जंग का प्रभाव व्यापक है| दुनिया के गेहूं के निर्यात में रूस और यूक्रेन का हिस्सा 28.3 प्रतिशत है| इसी तरह मकई, जौ और सूरजमुखी तेल में यह 19.5, 30.8 और 78.3 प्रतिशत है|
दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया के जिन्स व तैलीय बाजार में बड़ी रणनीतिक भूमिका अदा करते हैं| यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से कई देशों की अर्थ-व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है|
दोनों देश जरूरी कच्चे माल के बड़े निर्यातक हैं| गेहूं से लेकर तेल, गैस, कोयला के अलावा दूसरी बेशकीमती धातुओं के ये बड़े सप्लायर हैं|
रूस और यूक्रेन की लड़ाई की वजह से इन चीजों की सप्लाई बाधित हो रही है| इससे कोविड से उबर रही दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की नौबत पैदा हो गई है|