कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सीएसए के सब्जी उत्कृष्टता केंद्र ने खीरे की नई प्रजाति विकसित की है। खीरे की इस प्रजाति का नाम आजाद अगेता रखा गया है। इसकी खासियत है कि यह अधिक पैदावार की वजह से किसानों की आय बढ़ाएगा और फसल चक्र को भी सुधारेगा। किसानों का खेत जल्द खाली हो जाएगा, तो वे दूसरी फसलें बो सकेंगे।
सीएसए के सब्जी विभाग अनुभाग के सब्जी उत्कृष्टता केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एसपी सचान ने यह प्रजाति विकसित की है।
उन्होंने बताया कि खीरे की यह फसल कुल 60 दिन की है। इसमें 35 दिन में फल आने लगते हैं, अमूमन दूसरी प्रजातियों में 45 दिन में फल आता है। दूसरे खीरों की फसल में खेत 90 दिन में खाली हो पाता है। अमूमन एक आम खीरे के पौधे में आठ फल आते हैं। इस प्रजाति में 11 फल आएंगे।
इसकी पैदावार अन्य खीरा प्रजातियों से आठ प्रतिशत अधिक है। मध्यम साइज का होने की वजह से इसे बाजार ले जाने में आसानी होगी। इस प्रजाति का विमोचन प्रस्ताव प्रादेशिक प्रजाति विमोचन समिति लखनऊ के पास भेज दिया गया है। विमोचन के बाद बीज किसानों को उपलब्ध हो जाएंगे।
आजाद अगेता खीरा की बुआई गर्मी में फरवरी के पहले सप्ताह में होगी। वर्षाकालीन फसल 20 जून से 10 जुलाई के बीच बोई जा सकती है। आजाद अगेता खीरा की बुआई अगर समुचित प्रबंधन से की जाए तो प्रति हेक्टेयर में डेढ़ सौ क्विंटल पैदावार मिलती है।