भारत का कृषि क्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। देश का कृषि यंत्र उद्योग ₹1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है, और यह हर साल 8.5% की चक्रवृद्धि वृद्धि दर (CAGR) से आगे बढ़ रहा है। यह उछाल मुख्य रूप से मशीनीकरण के बढ़ते उपयोग, श्रम की कमी, सरकारी प्रोत्साहन और तकनीकी नवाचार के कारण आया है, जिसने पारंपरिक खेती की विधियों को बदलकर एक नई दिशा दी है।
भारत में कृषि यंत्रों के चार प्रमुख वर्ग
1.भूमि तैयारी यंत्र:
ट्रैक्टर, हल और कल्टीवेटर इस सबसे बड़े वर्ग में आते हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा, TAFE और क्यूबोटा जैसे ब्रांड इसमें अग्रणी हैं।
2.सिंचाई यंत्र:
जैन इरिगेशन और नेटाफिम जैसी कंपनियां ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी जल-संरक्षण तकनीकों में अग्रणी हैं।
3.बुआई यंत्र:
सीड ड्रिल, प्लांटर और खाद वितरक जैसे यंत्रों की मांग बढ़ रही है। जॉन डियर इस क्षेत्र में सटीक बुआई तकनीकें ला रही है।
4.फसल कटाई यंत्र:
रीपर और थ्रेशर जैसे उपकरण किसानों को कटाई दक्षता और बाद की हानि को कम करने में मदद कर रहे हैं।
मशीनीकरण के पीछे की बड़ी ताकतें
•श्रमिकों की कमी:
ग्रामीण से शहरी पलायन और वैकल्पिक रोजगार के कारण खेतों में श्रमिकों की कमी हो रही है, जिससे मशीनीकरण जरूरी हो गया है।
•सरकारी योजनाएं:
सब्सिडी, कम आयात शुल्क और आसान फाइनेंसिंग से यंत्रों की पहुंच बढ़ी है।
•बढ़ती आय और तकनीकी समझ:
बेहतर फसल दर और डिजिटल साक्षरता किसानों को आधुनिक यंत्रों की ओर आकर्षित कर रही है।
•कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग:
छोटे और मध्यम किसानों को तकनीकी यंत्र अपनाने में मदद कर रही है।
मजबूत प्रतिस्पर्धा और नवाचार ने बढ़ाया बाजार विस्तार
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है।
•महिंद्रा एंड महिंद्रा – मजबूत ब्रांड और डीलर नेटवर्क
•TAFE – स्थानीय जरूरतों के अनुसार फ्यूल एफिशिएंट मॉडल
•जैन इरिगेशन – जल-संरक्षण समाधानों में अग्रणी
•जॉन डियर – हाई-टेक और सटीक खेती तकनीकें
परंपरागत डीलर चैनल के साथ-साथ ई-कॉमर्स और रिटेल आउटलेट्स भी तेजी से उभर रहे हैं, जिससे यंत्र देश के कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं।
अब भी बनी हैं कुछ चुनौतियाँ
•भूमि विखंडन:
औसत खेत आकार 2 हेक्टेयर से कम होने के कारण महंगे यंत्रों में निवेश कठिन होता है।
•जागरूकता की कमी:
कई किसान आज भी आधुनिक यंत्रों और उनकी उपयोगिता से अनभिज्ञ हैं।
•सर्विस नेटवर्क की कमी:
दूरदराज़ क्षेत्रों में तकनीशियन और स्पेयर पार्ट्स की कमी उपकरण उपयोग को प्रभावित करती है।
•जलवायु अस्थिरता:
मौसम की अनिश्चितता मशीनरी खरीद में अनिश्चितता पैदा करती है।
सतत विकास और डिजिटल खेती बने भविष्य की दिशा
भारत का कृषि यंत्र उद्योग आने वाले समय में निम्न प्रवृत्तियों से और मजबूत होगा:
•सौर ऊर्जा और ऊर्जा-कुशल यंत्रों की बढ़ती मांग
•पे-पर-यूज़ मॉडल और कृषि उपकरण शेयरिंग प्लेटफॉर्म
•निर्यात की संभावना:
भारत की किफायती निर्माण लागत और उष्णकटिबंधीय कृषि विशेषज्ञता अफ्रीका और दक्षिण एशिया में बड़े अवसर खोल रही है।
•डिजिटल समाधान:
सैटेलाइट इमेजिंग, सेंसर और AI आधारित विश्लेषण आधुनिक खेती को नया रूप दे रहे हैं।
राज्यों से उदाहरण:
1.असम:
युवाओं में मशीनीकरण की प्रवृत्ति बढ़ी, श्रमिकों की कमी और सरकारी सब्सिडी मुख्य कारण।
2.महाराष्ट्र – जैन इरिगेशन:
ड्रिप सिस्टम ने जल बचत और उपज में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की।
3.पंजाब – जॉन डियर:
जीपीएस आधारित ट्रैक्टरों और प्लांटर से लागत में भारी कमी और उपज में सुधार।
