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नारियल तेल के दाम ₹410 प्रति लीटर तक क्यों पहुंचे? जानिए मुख्य वजहें

नारियल तेल के दाम ₹410 प्रति लीटर तक क्यों पहुंचे? जानिए मुख्य वजहें

नारियल तेल की कीमतों में अचानक आई भारी तेजी ने उपभोक्ताओं को चौंका दिया है। केरल में यह तेल अब ₹410 प्रति लीटर तक बिक रहा है, जिससे स्थानीय मांग में 10-20% तक की गिरावट दर्ज की गई है। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें सबसे अहम है कोप्रा (सूखा नारियल गूदा) के उत्पादन में गिरावट।

प्रमुख कारण: कोप्रा उत्पादन में गिरावट

कोचीन ऑयल मर्चेंट्स एसोसिएशन (COMA) के अध्यक्ष थलथ महमूद के अनुसार, कोप्रा उत्पादन में भारी गिरावट के कारण नारियल तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। केरल में कोप्रा का दाम ₹231 प्रति किलो और तमिलनाडु में ₹227 प्रति किलो पहुंच चुका है। यही नहीं, नारियल के दाम भी ₹70 प्रति किलो हो गए हैं।

उपभोक्ता झुके सस्ते विकल्पों की ओर

केरल, जो देश का इकलौता राज्य है जहाँ नारियल तेल प्रमुख खाना पकाने का तेल है, वहां अब लोग सस्ते विकल्प जैसे पामोलीन (₹130 प्रति लीटर) और सूरजमुखी तेल (₹150 प्रति लीटर) की ओर रुख कर रहे हैं। इससे नारियल तेल की मांग में और कमी आ रही है।

मिलावट का खतरा और अंतरराष्ट्रीय असर

बढ़ती कीमतों के चलते बाज़ार में मिलावटी नारियल तेल की बाढ़ आ गई है। COMA का दावा है कि सस्ते और घटिया गुणवत्ता वाले तेल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन या फफूंदी लगे कोप्रा से बनाए जा रहे हैं। महमूद ने सरकार से इन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

इधर, इसराइल-ईरान तनाव के चलते समुद्री मालभाड़ा दरों में संभावित बढ़ोतरी से आयातित खाद्य तेलों की कीमतें और बढ़ने की आशंका है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

आगे क्या? 500 रुपये तक जा सकते हैं दाम

उद्योग विशेषज्ञ के.के. देवराज के अनुसार, यदि कोप्रा और नारियल की कमी बनी रही तो ओणम तक नारियल तेल की कीमत ₹500 प्रति लीटर तक पहुंच सकती है। हालांकि, सरकार द्वारा हाल ही में क्रूड वेजिटेबल ऑयल पर आयात शुल्क घटाने से थोड़ी राहत मिल सकती है।

देवराज ने यह भी कहा कि अगर पामोलीन की कीमतें और गिरती हैं, तो इसका असर नारियल तेल पर भी पड़ेगा और कीमतों में गिरावट संभव है। लेकिन भारी अंतर के चलते उपभोक्ता नारियल तेल की ओर दोबारा लौटेंगे या नहीं, यह संदेहास्पद है।

निर्यात बढ़ा, घरेलू संकट गहरा

हालांकि घरेलू बाजार में नारियल की कमी है, लेकिन नई मुक्त व्यापार संधियों (FTAs) के चलते नारियल और इससे जुड़े उत्पादों के निर्यात में इजाफा हो रहा है। इससे घरेलू आपूर्ति और भी प्रभावित हो रही है।

COMA की मांग

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए COMA ने केंद्र सरकार से नारियल तेल और कोप्रा पर आयात प्रतिबंध हटाने की मांग की है, ताकि उद्योग को कच्चे माल की भारी कमी से राहत मिल सके।

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