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चुनाव से एक साल पहले ही रसोई में नज़र आने लगी थी महंगाई
चुनाव से एक साल पहले ही रसोई में नज़र आने लगी थी महंगाई

चुनाव से एक साल पहले ही रसोई में नज़र आने लगी थी महंगाई

बीते साल महंगाई के चलते लंच करना जेब पर थोड़ा भारी रहा है। अरहर(तुअर) दाल की कीमत एक साल के दौरान 33 रुपये बढ़कर 148 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। जबकि, चावल के दाम भी इस दौरान 5 रुपए बढ़कर 44 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। वहीं, आटा भी 2 रुपए बढ़कर 36 रुपए प्रति किलो हो गया है।

हर सब्जी के साथ ताल मिलाने वाले आलू-टमाटर की कीमतों ने भी पिछले साल लोगों के बजट को जमकर बिगाड़ा है। टमाटर 10 रुपए महंगा होकर अब 32 रुपये प्रति किलो का हो गया है। आलू भी बीते साल 5 रुपये महंगा होकर 23 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। जबकि, कुछ अन्य सब्जियों की कीमतों में भी उछाल देखा गया।

सुबह की चाय के साथ होती है. इसे बनाने में प्रमुख रूप से दूध और चीनी का इस्तेमाल होता है। दूध बीते 1 साल में 3 रुपए बढ़कर 59 रुपए प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह चीनी की कीमत भी 3 रुपए बढ़कर 44 रुपए प्रति किलो हो गई है। पैकेट वाले दूध के दाम भी दो रुपए प्रति लीटर तक बढ़े हैं।

महंगाई का असर पशु चारा पर पड़ा है। महंगा चारा पशुपालकों का बजट बिगाड़ रहा है। इसका बुरा असर डेयरी संचालकों और गौशालाओं पर पड़ रहा है। कम चारा मिलने से पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता पर असर आने कोई महंगाई से जोड़ कर देखा जा रहा है।

अलबत्ता, पिछले कारोबारी साल में सस्ती हुई है. 15 मार्च को पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में भी 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। यानी बीते कारोबारी साल में रोजाना की दिनचर्या में कहीं महंगाई तो कहीं राहत ने लोगों की जेब पर असर डाला है। पेट्रोल, डीजल, वाहनों की गैस के दामों में मामूली गिरावट को लोकसभा चुनाव के असर को सरकार की मजबूरी कहा जा रहा है।

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