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हिमाचल में 123 दिन में सिर्फ 7 दिन निकली धूप,सेब छोटा होने से बागवान परेशान

हिमाचल प्रदेश में बीते सात महीने दुःख देने वाले रहे।जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम लगातार करवटें बदलता रहा। जब ठंड की जरूरत थी तब गर्मी। जब पेड़ों पर फूल आने की उम्मीद थी तब ओलावृष्टि और अब जब सेब के फल तोड़ने की बारी आयी तो पहाड़ को बहाने वाली बारिश। बारिश भी ऐसी कि अपने बहाव में सेब के पेड़ तक बहाकर ले गयी। सूबे में बीती बात महीने तबाही की ख़बरें लिखते रहे।

इस साल 25 मार्च से 25 जुलाई के बीच केवल सात दिन ऐसे गए, जब निरंतर सातों दिन धूप खिली हो। बाकी दिनों के दौरान या तो बारिश हुई या फिर मौसम खराब बना रहा। ​नतीजा यह हुआ कि धूप की कमी और ज़्यादा नमी के कारण सेब बगीचों को बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही है।

इस साल सर्दियों के मौसम में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रदेश में नाममात्र बर्फ गिरी । सेब की बागवानी के जानकारों का कहना है कि “सेब के लिए बर्फ टॉनिक का काम करती है।'” शिमला शहर में इस बार मात्र सात सेंटीमीटर बर्फ गिरी है। सेब के सीजन में यहां बार-बार दो से चार फीट तक बर्फ गिरती है। अन्य क्षेत्रों का हाल भी शिमला की ही तरह रहा।बीस मार्च तक बारिश-बर्फबारी नहीं हुई।

हिमाचल प्रदेश में इस साल 16 मार्च के बाद से ही बारिश का दौर जारी है। इससे सेब का साइज नहीं बन पाया। अच्छा साइज नहीं बनने से उत्पादन में गिरावट होने का संकट है। सूबे में इस बार पहले ही बीते साल की तुलना में 40 से 45 फीसदी कम सेब की फसल का अनुमान है। अगर अगले कुछ दिनों में भी दिनों में धूप नहीं खिली तो सेब उत्पादन डेढ़ करोड़ पेटी में ही सिमट सकता है।छोटे साइज़ के सेब का बागवानों को दाम भी बेहतर नहीं मिल पा रहे है।

इसी क्रम के बाद निचले व मध्यम ऊंचे क्षेत्रों में सेब की फ्लावरिंग का दौर शुरू हुआ तो बारिश और ओलावृष्टि शुरू हो गई। सेब के पेड़ पर फ्लॉवरिंग के दौरान मौसम का साफ होना जरूरी होता है। मगर, इस साल 15 मार्च और पूरे अप्रैल महीने में निरंतर बारिश होती रही। यही नहीं अप्रैल की बारिश ने तो कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बारिश से सेब के बागवानों की उम्मीदों को झकझोर कर रख दिया। बागवानों की कराह मंडियों में गूंजने लगी।

मौसम की बेवफाई से सेब की फसल बीते साल की तुलना में आधी रह गई। इन दिनों भारी बारिश सेब के बगीचों को तहस-नहस कर रही है और सेब से लदे पौधे जड़ से ही उखड़ कर बाढ़ की चपेट में आ रहे है। बादल फटने की लगातार हो रही घटनाओं से बागवानों को करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

हिमाचल प्रदेश में शायद ही कोई बागवान ऐसा हो, जिसे कम से एक लाख रुपए का नुकसान हुआ है।स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी के अनुसार अब तक फलों को 144 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

25 मार्च से 25 जुलाई के बीच रोहड़ू में 787 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। मौसम खराब होने और धूप नहीं खिलने से अब सेब का साइज नहीं बन पा रहा है। बगीचे बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे है। इससे जहां 500 पेटी सेब होना है, वहां मुश्किल से 300 पेटी सेब हो पाएगा।

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प्रदेश सरकार ने इस वर्ष से यूनिवर्सल कार्टन को शुरू किया है। इससे जहां बागवानों को लाभ मिल रहा है, वहीं सेब आढ़तियों को भी इसका फायदा पहुंच रहा है। पहले जहां एक पेटी में 28 से 32 किलोग्राम सेब जाता था, वहीं अब यूनिवर्सल कार्टन के चलते प्रति पेटी 22 से 24 किलोग्राम सेब बिक रहा है। खाली पड़ी जगहों में भी सेब की नई पौध लगाई जा रही है। जिले में हर वर्ष बागवान अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। इस वर्ष भी जिले में सेब से बागवानों को करीब आठ करोड़ की कमाई हुई है।

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