सरसों तेल पर रोक, बंटा फैसला और स्वास्थ्य संकट: उपभोक्ताओं के लिए क्या हैं मायने? – Khalihan News
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सरसों तेल पर रोक, बंटा फैसला और स्वास्थ्य संकट: उपभोक्ताओं के लिए क्या हैं मायने?

सरसों तेल पर रोक, बंटा फैसला और स्वास्थ्य संकट: उपभोक्ताओं के लिए क्या हैं मायने?

भारत में सरसों का तेल तीसरा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला खाद्य तेल है। लेकिन हाल के वर्षों में इससे जुड़े दो बड़े फैसलों ने इसके उपभोक्ताओं और किसानों के बीच चिंता बढ़ा दी है — एक प्रशासनिक और एक न्यायिक फैसला, जिनका सीधा असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

पहला फैसला:
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने 8 जून 2021 से सरसों तेल में किसी भी अन्य खाद्य तेल को मिलाकर बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले, खाद्य सुरक्षा कानूनों के अनुसार, दो खाद्य तेलों को 20% तक मिलाकर बेचना अनुमन्य था। यह फैसला सरसों तेल में मिलावट रोकने और घरेलू सरसों फसल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया था।

दूसरा फैसला:
23 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा स्वदेशी विकसित जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) सरसों — ‘धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11’ (DMH-11) — के पर्यावरणीय रिलीज की मंजूरी को खारिज कर दिया। दो में से एक न्यायाधीश ने इसके खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि इस GM सरसों के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव की समुचित जांच नहीं की गई है।

इन दोनों फैसलों के पीछे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा एक साझा नीति उद्देश्य रही है। लेकिन क्या ये फैसले वास्तव में सरसों तेल से जुड़ी स्वास्थ्य चिंताओं का समाधान कर पाएंगे?

स्वास्थ्य संबंधी मुख्य चिंता: एरूसिक एसिड
भारतीय सरसों तेल में एक विशेष फैटी एसिड — एरूसिक एसिड — की मात्रा 40% से 54% तक होती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार यह सीमा 5% से कम होनी चाहिए। अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देशों में इस उच्च मात्रा को मानव उपभोग के लिए असुरक्षित माना जाता है।

प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों में यह पाया गया कि उच्च एरूसिक एसिड वाला सरसों तेल खाने से जानवरों में हृदय रोग, अंगों की क्षति, विकास में बाधा, और अन्य जैविक परिवर्तन देखे गए। हालांकि अभी तक मनुष्यों में इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन इन देशों ने एहतियातन ऐसे तेल पर प्रतिबंध लगा रखा है। वहां कनोला तेल का उपयोग किया जाता है, जिसमें एरूसिक एसिड की मात्रा केवल 2% से भी कम होती है।

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